- अभिमत

खोदा पहाड़ निकली सोनिया

प्रतिदिन
खोदा पहाड़ निकली सोनिया
१२५ साल पुरानी कांग्रेस के सारे छोटे-बड़े नेता मिलकर यह तय नही कर सके कि उनका नेता कौन हो ? अब श्रीमती सोनिया गाँधी फिर २० महीने बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष होंगी | २० महीने पहले वे अध्यक्ष थीं | उन्होंने राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाया था राहुल गाँधी ने उन्हें अंतरिम अध्यक्ष | अब कांग्रेस का महाधिवेशन तय करेगा की उसका अगला अध्यक्ष कौन होगा ? यह अधिवेशन कब होगा कहाँ होगा तय नहीं है | अब सवाल दो हैं | पहला- क्या कांग्रेस में कभी कुछ बदलेगा ? दूसरा- भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस इस तरह कभी कोई चुनौती दे पायेगी ? इन दोनों सवालों से अहम एक और सवाल है देश के लिए संघर्ष करने का जज्बा क्या कांग्रेस में खत्म हो गया है ?
कांग्रेस का पूरा ग्राफ देखें तो श्रीमती सोनिया गाँधी मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नेहरू-गांधी परिवार की ऐसी चौथी सदस्य हैं, जिन्हें एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार पार्टी की बागडोर सौंपी गई है। मोतीलाल नेहरू १९१९  के बाद पुन: १९२८  में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। जवाहरलाल नेहरू १९२९-३० के बाद १९५१  से १९५४  तक पार्टी अध्यक्ष रहे। इसी तरह इंदिरा गांधी ने एक बार १९६९ में पार्टी की कमान संभाली। इसके बाद १९७८  से १९८४  तक वे दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष रहीं।
कल जो हुआ, अभूतपूर्व रहा | अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए कांग्रेस ने ५  समितियां बनाकर रायशुमारी करने का फैसला लिया गया । श्रीमती सोनिया गाँधी और उनके बेटे राहुल इन समितियों का हिस्सा नहीं थे। सिर्फ प्रियंका गांधी वाड्रा एक समूह में शामिल थी। इन समितियों की राय पर करीब ३ घंटे तक चर्चा हुई। श्रीमती सोनिया गाँधी दोबारा इस बैठक में शामिल हुईं, लेकिन राहुल बाद में आए और थोड़ी देर बाद रवाना हो गए। राहुल गाँधी की यह उदासीनता अध्यक्ष पद से है या कांग्रेस के वर्तमान स्वरूप से उनका मोह भंग हो रहा है ? इसका उत्तर सिर्फ राहुल गाँधी दे सकते हैं, और वे अपने उस कथन पर टिके हुए हैं “उन्हें छोड़ कोई और “
करीब ३ महीने से कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली है | मोतीलाल वोरा को  कुछ दिनों के लिए यह बागडोर सौंपी गई थी, परसों सोनिया गांधी के घर पर एक बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के अलावा राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता भी मौजूद थे, इस  बैठक में हुए फैसले के अनुसार  कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों और विधायक दल के नेताओं को भी बुलाया गया और उनकी राय ली गई लेकिन अंतिम फ़ैसला कांग्रेस कार्यसमिति ही करेगी यह बात सबको पहले ही बता दी गई थी|  ऐसे में कोई गाँधी परिवार से इतर कैसे और क्यों सोचता ?आंतरिक प्रजातंत्र और वो भी सोचने के लिए कोई विकल्प नहीं, क्या जुगलबंदी है | इससे जो स्वर निकल सकता था, वो यही था और निकल गया |
राहुल गाँधी ने कश्मीर का मुद्दा उठाकर इस पूरे विषय को मोड़ने की कोशिश की | इस विषय पर कांग्रेस में मतभेद उभर कर सामने आ ही रहे हैं | आन्दोलन करने का कांग्रेस का मूल जज्बा या तो खत्म हो गया है या जनता अब कोई लड़ाई कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को सौंपना नहीं चाहती, शोध  का विषय है| फ़िलहाल सारी कवायद का नतीजा श्रीमती सोनिया  गाँधी की वापिसी और कांग्रेस में अनिश्चितता  है |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *