ब्रासीलिया: अमेजन के जंगलों में तेजी से फैलती आग और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो ने शुक्रवार को आग से निपटने के लिए सेना भेज दी है। इससे पहले न्यूज चैनल अल जजीरा ने बोल्सोनारो के हवाले से कहा था कि सरकार जंगलों में सेना को भेजने का मन बना रही है। हालांकि यह कदम कब उठाया जाएगा, इसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया था। अमेजन के जंगल 3 हफ्ते से आग की चपेट में हैं।
August 2019 is continuing an active Amazon fire season, with large and intense fires burning in the region. @NASA satellites tracked actively burning fires across South America and captured images of smoke in the last week. https://t.co/EZKu01MPHg pic.twitter.com/VEoNZi2KJQ
— NASA Earth (@NASAEarth) August 23, 2019
बोल्सोनारो को वैश्विक स्तर पर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है। इसका कारण वर्षावन की सुरक्षा को लेकर उनका विजन और योजनाएं हैं। पेरिस, लंदन और जेनेवा में स्थित ब्राजील दूतावास के बाहर लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। लोगों ने अपील की कि ब्राजील आग से निपटने के लिए प्रयास तेज करे।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि जंगल की आग एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। जी-7 राष्ट्रों को चाहिए कि समिट में इस मामले पर भी बात करें। मैक्रों ने ट्वीट किया- हमारे घर जल रहे हैं। अमेजन के वर्षावन हमारे फेफड़े हैं। हमारे ग्रह की 20% ऑक्सीजन यहीं पैदा होती है। यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। जी-7 के सदस्यो, आइए अगले दो दिनों में सबसे पहले इस पर बात करते हैं।
Our house is burning. Literally. The Amazon rain forest – the lungs which produces 20% of our planet’s oxygen – is on fire. It is an international crisis. Members of the G7 Summit, let’s discuss this emergency first order in two days! #ActForTheAmazon pic.twitter.com/dogOJj9big
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) August 22, 2019
जी-7 समिट के पहले मैक्रों के दफ्तर से बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि ब्राजील के फैसले और बयान बताते हैं कि वे पर्यावरण को लेकर अपने दायित्वों का न तो निर्वहन नहीं करेंगे और न ही जैव-विविधता से जुड़े इस मामले में खुद को शामिल करेंगे।
दूसरी तरफ बोल्सोनारो ने मैक्रों पर इस मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। ब्राजील सरकार के मुताबिक- यूरोपियन राष्ट्र ब्राजील की पर्यावरणीय समस्या को कमर्शियल इंट्रेस्ट से जोड़ रहे है। बोल्सोनारो ने कहा था कि मैं जमीन को सोयाबीन के खेत और मवेशियों के चारागाह में बदलना चाहता हूं। फ्रांस और आयरलैंड ने कहा था कि वे तब तक ब्राजील के साथ व्यापार सौदे को मंजूरी नहीं देंगे, जब तक कि वह अमेजन में लगी आग से निपटने के लिए कुछ नहीं करता।
The first images of the supertanker rented by Bolivia’s socialist President Evo Morales to fight the Amazon fires while Brazil’s Bolsonaro blames environmentalists
HT @FloryCantoX pic.twitter.com/H4SzHbGlbs
— Max Blumenthal (@MaxBlumenthal) August 24, 2019
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘‘वैश्विक जलवायु संकट के बीच, हम ऑक्सीजन और जैव विविधता के एक प्रमुख स्रोत का अधिक नुकसान नहीं सहन कर सकते। अमेजन को संरक्षित किया जाना चाहिए।’’ पर्यावरण संरक्षणवादियों ने अमेजन की दुर्दशा के लिए बोल्सोनारो को दोषी ठहराया है। उनके मुताबिक, बोल्सोनारो ने लकड़हारों और किसानों को भूमि के सफाए के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे वर्षावनों की कटाई में तेजी आई।
आग की घटनाओं में इस बार 83% बढ़ोतरी दर्ज
ब्राजील में अमेजन के जंगलों में आग लगने की घटना रिकॉर्ड स्तर पर है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के अनुसार बीते आठ महीने में 73,000 बार आग लगने की घटनाएं दर्ज हुईं। 2018 के मुकाबले इस बार ऐसी घटनाओं में 83% बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2013 के बाद आग लगने का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। जंगलों में आग बीते तीन सप्ताह से लगातार जारी है। ब्राजील में इसे लेकर महीने की शुरुआत में आपातकाल भी घोषित किया गया था।
अधिकारियों के मुताबिक, जंगल में आग लगने की अधिकांश घटनाओं का कारण खेती और पशुपालन होता है। यूजर्स ने अरबपति लोगों से इस जंगल को बचाने के लिए दान देने की अपील की। समाचार पत्र के अनुसार, सैटेलाइट से ली गई फोटो से पता चला कि आग ब्राजील के अमेजन, रोंडोनिया, पारा और माटो ग्रासो स्टेट के जंगलों में लगी है। सबसे ज्यादा प्रभावित अमेजन हुआ है। इसका असर ब्राजील और पड़ोसी देशों पर भी पड़ा है।
वनक्षेत्र खत्म होने से दुनिया पर बुरा असर: वैज्ञानिक
ब्राजील का यह वनक्षेत्र दुनिया का कुल 20 % ऑक्सीजन पैदा करता है। यह कुल 10 % जैव-विविधता वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र को पृथ्वी के फेफड़े माना जाता है। यह जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यदि यह वन क्षेत्र खत्म होता है तो इसका दुनिया पर बुरा असर पड़ेगा।