श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में अबतक अलग निशान (झंडे) और अलग विधान की परंपरा चली आ रही थी। आर्टिकल 370 को खत्म करने के साथ अलग विधान को सरकार पहले ही खत्म कर चुकी है, अब वहां अलग निशान भी देखने को नहीं मिलेगा। इसी क्रम में रविवार को श्रीनगर स्थित राज्य सचिवालय की बिल्डिंग से जम्मू-कश्मीर का झंडा हटा दिया गया।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी कुछ दिनों पहले तक दोनों झंडे लगे हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक, अब राज्य सरकार से जुड़ी सभी इमारतों पर सिर्फ तिरंगा ही फहराया जाएगा। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के हटने के बाद भारतीय दंड संहिता और भारत का पूरा संविधान जम्मू-कश्मीर पर भी लागू हो गया।
आर्टिकल 370 हटने से पहले तक सचिवालय पर दोनों झंडे लगते थे। यह तस्वीर इसी महीने की 6 तारीख की है। इसमें तिरंगे के साथ-साथ जम्मू कश्मीर का झंडा भी लगा दिख रहा है। अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को अपना झंडा रखने की इजाजत थी जो लाल रंग का था जिस पर खड़ी तीन सफेद पट्टियाँ और एक सफेद हल था। जम्मू कश्मीर के झंडे को तिरंगे झंडे के साथ प्रतिदिन सचिवालय पर फहराया जाता था। झंडे पर तीन पट्टियां राज्य के तीन क्षेत्रों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का प्रतिनिधित्व करती थीं।
राज्य के सचिवालय की ताजा तस्वीर आप ऊपर देख रहे हैं। यह फोटो रविवार को आई है। इसमें सिर्फ तिरंगा लहराता दिख रहा है। वहीं जम्मू कश्मीर का झंडा अब हटा दिया गया है।
जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांटने वाला कानून प्रभाव में आने के बाद राज्य के झंडे को 31 अक्टूबर को हटाया जाना था। लेकिन रविवार सुबह सचिवालय की इमारत के ऊपर केवल तिरंगा ही फहराया गया। उन्होंने बताया कि राज्य के झंडे को अन्य इमारतों से भी हटाया जाएगा।
5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने से पहले ही केंद्र सरकार पूरी तरह तैयार थी। समूचे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी। ज्यादातर इलाकों में अभी भी धारा 144 लागू है, जिसमें धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। राज्य के कई प्रमुख नेता अभी नजरबंद हैं। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि जल्द ही इन नेताओं से बातचीत करके और उन्हें विश्वास में लेकर पूरे राज्य से पाबंदियां हटाई जा सकती हैं।
अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। पहला जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख। दोनों केंद्र शासित प्रदेश बना दिए हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी और वहां चुनाव भी कराए जाएंगे लेकिन लद्दाख चंडीगढ़ की तरह बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा।