- अभिमत

तन्त्र- जिस पर राजनीति लट्टू है

प्रतिदिन
तन्त्र- जिस पर राजनीति लट्टू है

भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा भारती ठाकुर द्वारा कल “नेताओं की मौत के पीछे तन्त्र” की जो बात कही गई, उस पर कई लोगों ने मुझसे कई सवाल पूछे | सौ के लगभग सवालों का जोड़-बाकी करने पर एक सवाल बना तन्त्र क्या है ? वैसे भारतीय आध्यात्मिक अध्ययन का तंत्र सबसे डरावना और उपेक्षित विषय है| ५ वीं से ९ वीं शताब्दी ईसा में तंत्र पर असंख्य पुस्तकें लिखी जाने का उल्लेख अनेक स्थान पर मिलता है | इन दिनों राजनीति में त्वरित लाभ को लेकर ‘तांत्रिक प्रयोग’ जुमला उछलता है, उछालने वाले को तत्काल चर्चा में आने का अवसर मिलता है | इसके अतिरिक्त किसी अन्य प्रकार के लाभ के पुष्ट प्रमाण अभी तक मेरे ज्ञान में नहीं है | समाज में व्याप्त आम धारणा के अनुसार तंत्र की शक्तियां फायदे से ज्यादा नुकसान देती हैं, इसलिए आम समाज इससे या इसकी साधना से दूर रहना चाहता हैं| विभिन्न उपासना पद्धति के अनुष्ठान और कर्मकांड को अज्ञानता के कारण कुछ लोग तन्त्र समझ लेते हैं या उन्हें अनुष्ठान को तन्त्र बता दिया जाता है |
कुछ किताबों में कहा गया है कि तंत्र एक सकारात्मक साधना है, जो हमें वैदिक परंपरा का एक व्यावहारिक पहलू दिखाती है| जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है, जबकि कई बार हम अपने व्यवहार में बेहद तीक्ष्ण होकर इनसे खिलवाड़ कर नुकसान की स्थितियां भी पैदा करते हैं, पर्यावरण के वर्तमान हालात कुछ ऐसे ही है |मजेदार बात यह है कि सनातन धर्म की काट के रूप में उपजे बुद्ध धर्म का प्रादुर्भाव भी एक प्रकार से इसी तंत्र से हुआ है जो ‘कौल तंत्र’ का एक परिष्कृत रूप है, ऐसा उल्लेख अनेक जगह मिलता है | सत्य क्या हैं ? मेरे लिए पूर्ण जानकारी के अभाव में लिखना संभव नहीं है |
संस्कृत साहित्य के अनुसार ‘तंत्र’ तीन शब्दों से मिलकर बना है – ‘तत्व’, ‘मंत्र’ और ‘यंत्र’| तत्व जहां लौकिक सिद्धांतों का विज्ञान है, वहीं मंत्र रहस्य का, जबकि यंत्र हमारे मस्तिष्क की संरचना में ‘त्रिनेत्र’ कहे जाने वाले पीनियल ग्रंथि का जो ‘ध्वनि और ब्रह्मांडीय ऊर्जा’ के सिद्धांत पर काम करती है| ऐसा उल्लेख भी कहीं-कहीं है| इसलिए, ‘तंत्र’ इस ब्रह्मांड, ध्वनि और विद्युतीय ऊर्जा को इस्तेमाल करने का एक तरीका हो सकता है| जो एक खास उद्देश्य के लिए होता है और वो है यह है कि हम खुद को आध्यात्म से जोड़ सकें या इन ब्रह्मांडीय ऊर्जा का सही इस्तेमाल करते हुए हम अपनी आंतरिक शक्ति को सही दिशा दे सकें, उसका सही उपयोग कर सकें| इससे चुनाव जीतने, हारने मनुष्य के जीवन मरण की बात जोड़ना गलत है, समाज को गलत दिशा देने की कुचेष्टा है |बृहत् तंत्रसार नामक पुस्तक में शक्ति के साथ तंत्र साधना करने के कई तरीके बताए गए हैं लेकिन कई लोग इसे बुरी शक्तियों के लिए की जानी वाली साधना मानते हैं| मैं अब तक ये समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर इस विज्ञान को आडंबरपूर्ण विकृत रूप किसने दिया? हिप्नोटिज्म, जादू विधा और काला जादू वास्तव में कभी भी तंत्र का हिस्सा नहीं रहे हैं, और न ही किसी तंत्र शास्त्र में इसका उल्लेख है| तंत्र का अर्थ है ‘निर्माण करना, विकास करना और विस्तार करना’|
जिसे तन्त्र तीसरा नेत्र और तन्त्र का आधार मानता है | शरीर विज्ञान के अनुसार एक पीनियल ग्रंथि है जो कैल्सियम रहित होती है, उम्र बढ़ने के साथ हमारी पीनियल ग्रंथि में कैल्सियम जमने लगता है जिसके फलस्वरूप उपेक्षा, इच्छा, आसक्ति, भय, स्वयं और दूसरों के लिए भी गलत धारणा बनने लगती है| इसका किसी की मौत या मौतों से क्या सम्बन्ध हो सकता है ? शोध का विषय है | इससे ज्यादा शोधपरक बात यह है की राजनीति में काम करने वाले इसके पीछे इतने लट्टू क्यों हैं ?

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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