भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान 2 के विक्रम से संपर्क स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक 6 दिन बीत चुके, लेकिन अब तक किसी तरह की सफलता नहीं मिली है। वहीं अब इसरो की मदद के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी नासा (NASA) सामने आई है। इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रहा है, ताकि लैंडर विक्रम के साथ संचार लिंक स्थापित किया जा सके। यह प्रयास 20-21 सितंबर को तक जारी रहेगा जबतक की उस क्षेत्र में सूरज की रोशनी होगी, जहां विक्रम लैंडर की लोकेशन मिली है।
इसरो ने विक्रं लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए लगातार साथ संकेत भेज रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि विक्रम से जल्द से जल्द संपर्क कर लिया जाएगा। इसरो बेंगलुरु के पास बयालालू आईडीएसएन की मदद से विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
खगोलविद स्कॉट टायली ने भी ट्वीट कर विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित होने की संभावना जताई है। स्कॉट टायली वही हैं, जिन्होंने साल 2018 में अमेरिका के मौसम उपग्रह को ढूंढ निकाला था। यह इमेज सैटेलाइट नासा द्वारा 2000 में लॉन्च की गई थी, जिसके पांच साल बाद इससे संपर्क टूट गया था।
इससे पहले चंद्रयान 2 ऑर्बिटर में हाई रिजोल्यूशन कैमर ने चंद्रमा की सतह पर पड़े विक्रम की तस्वीर भेजी थी। तस्वीर के अनुसार, विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उस जगह के बिल्कुल करीब है जहां उसे लैंड करना था। हालांकि, वह झुका हुआ है। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि हो सकता है उसके उपकरण क्षतिग्रस्त हो गए हों।
फिलहाल ऑर्बिटर चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर की दूरी पर सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है। हालांकि, 2379 किलो वजन के ऑर्बिटर को एक साल तक के मिशन के लिए प्रोग्राम किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि उसमें इतना ईंधन है कि वह सात सालों तक अपना काम जारी रखेगा।