चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग भले ही न हो पाई हो, लेकिन ऑर्बिटर ने चांद पर सोडियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन ढूंढ निकाले हैं। इसरो ने यह अहम जानकारी देते हुए बताया कि ऑर्बिटर में मौजूद 8 पेलोड ने आवेशित कणाें और इसकी तीव्रता का पता लगा लिया है।
आर्बिटर के ‘जियोटेल’ या पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर के भाग से गुजरते समय आवेशित कणों के असमान घनत्व का पता चला है। मैग्नेटोस्फेयर पृथ्वी के आस-पास अंतरिक्ष में एक क्षेत्र है, जहां पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र सूर्य द्वारा जारी आवेशित कणों को प्रभावित करता है। उधर, जियोटेल पृथ्वी से कई लाख किमी दूर स्थित है। इसरो ने ट्वीट किया- ‘‘हर 29 दिन पर चंद्रमा करीब 6 दिन जियोटेल से गुजरता है। चूंकि चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में है, इसलिए इसे भी यह मौका हासिल हुआ और इस दौरान इसमें लगे उपकरणों ने जियोटेल के गुणों का अध्ययन किया। आर्बिटर के विशेष उपकरण ‘क्लास’ ने इसमें अहम भूमिका निभाई।’’
#ISRO
CLASS, #Chandrayaan2‘s Orbiter payload, in its first few days of observation, could detect charged particles and its intensity variations during its first passage through the geotail during Sept.
For more details, please visit https://t.co/OzfhxGMaVP pic.twitter.com/i1sLbouN86— ISRO (@isro) October 3, 2019
चंद्रयान-2 पर क्लास इंस्ट्रूमेंट को चंद्रमा की मिट्टी पर मौजूद तत्वों को खोजने के लिहाज से डिजाइन किया गया था। इसरो ने जानकारी दी कि पेलोड अपना काम बेहतरीन तरीके से कर रहे हैं। यह ऐसे समय में हुआ जब सूर्य किसी अन्य समय के मुकाबले बेहद शांत अवस्था में था। वहीं भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में भौतिकी के सहायक प्रोफेसर निरुपम रॉय ने कहा मैग्नेटोस्फेयर से गुजरते समय, पेलोड ने आवेशित कणों में तीव्रता की भिन्नता का पता लगाया। यह अपेक्षित है, क्योंकि सौर हवा इन कणों को असमान रूप से छोड़ती है और यह चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होती है। 7 सितंबर को लैंडर विक्रम का चांद की सतह से महज 2.1 किमी दूर इसरो से संपर्क टूट गया था