न्यूयॉर्क : भारतवंशी वैज्ञानिक पंकज करांदे ने पहली बार ब्लड वेसल (रक्त वाहिकाएं) वाली त्वचा को थ्री-डी प्रिंटिंग से विकसित करने में सफलता हासिल की है। इसे बॉयोप्रिंटिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खोज माना जा रहा है। येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता पंकज करांदे ने कहा कि बाजार में उपलब्ध क्लिनिकल उत्पाद घाव भरने के बाद सूख जाते हैं। इस तरह के उत्पाद शरीर पर अलग दिखाई देते हैं। यानी घाव के निशान छोड़ देते हैं। ऐसे उत्पाद सूखकर शरीर से अलग हो जाते हैं। लेकिन उनकी नई खोज में ब्लड वेसल का शरीर के साथ जुड़ाव बेहद नैसर्गिक होगा। इससे यह पहचानना मुश्किल होगा कि घाव पर लगाई गई त्वचा थ्री-डी प्रिंटेड है। मौजूदा आम थ्री-डी प्रिंटेड कोशिका का शरीर में मौजूद रक्त की मदद से पोषक तत्व का प्रवाह त्वचा में नहीं हो पाता था। जबकि करांदे द्वारा ईजाद तकनीक में थ्री-डी त्वचा में रक्त का प्रवाह संभव है। इससे यह सजीव रह सकेगी।
Indian Origin Scientist 3D Prints Skin With Blood Cells To Heal Diabetics & Burn Victim Wounds #3dprinting https://t.co/Boo7ztkaAy
— 3D Printing News (@3DPrintMaven) November 2, 2019
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने जब इस संरचना को एक विशेष प्रकार के चूहों में लगाया तो थ्री-डी प्रिंट वाली त्वचा की कोशिकाएं संवेदी हो गईं और चूहों की कोशिकाओं से जुड़ने लगी थीं। करांदे की बनाई थ्री-डी त्वचा में मौजूद ब्लड वेसल से पोषक तत्व आने लगे थे। यह उस त्वचा को जीवित रखने में मदद करते हैं। अमेरिका स्थित रेंसेलेर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर करांदे ने बताया कि भविष्य में वे आग से झुलसे रोगियों में तंत्रिकाएं और वाहिकाएं खत्म हो जाने जैसी चुनौतियों के समाधान पर काम करेंगे।
इंडिया साइंस फेस्टिवल: एस्ट्रोफिजिक्स की क्लास में 1598 बच्चों ने हिस्सा लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाया
कोलकाता में मंगलवार से शुरू हुए इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में 1598 स्कूली बच्चों ने सबसे बड़ी एस्ट्रोफिजिक्स की क्लास का हिस्सा बनकर नया गिनीज रिकॉर्ड बनाया। साइंस सिटी में आयोजित विशेष समारोह में प. बंगाल से करीब दो हजार से अधिक बच्चों ने इस सबसे बड़ी क्लास में हिस्सा लिया। जो बच्चे हॉल में स्टेज के सामने बैठे थे, केवल उन्हें ही गिने जाने से यह संख्या 1598 तक पहुंच सकी। गिनीज प्रतिनिधि ने बालकनी में बैठे छात्रों को गिनने की मंजूरी नहीं दी। गिनीज प्रतिनिधि ने बताया कि ‘सबसे बड़ा एस्ट्रोफिजिक्स लेसन’ अपने किस्म का नया रिकॉर्ड है। पुणे के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के डॉ. समीर धुर्दे ने बच्चों की एस्ट्रोफिजिक्स की क्लास लेते हुए भारत के विज्ञानी सीवी रमन और मेघनाथ साहा के योगदान के बारे में बताया।