वॉशिंगटन : अमेरिका ने गुरुवार को पाकिस्तान को चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर चेतावनी दी है। अमेरिकी शीर्ष राजनयिक ने अपने देश में ही एक कार्यक्रम में कहा कि चीन का सीपीईसी में निवेश करने का मकसद मदद करना नहीं, बल्कि खुद को फायदा पहुंचाना है। अगर चीन लंबे वक्त तक सीपीईसी के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करता रहा तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
दक्षिण एशियाई मामलों की कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने कहा, ‘‘चीन और पाकिस्तान दोनों कॉरिडोर को एक गेम चेंजर की तरह दिखा रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह साफ हो चुका है कि बीजिंग इससे केवल फायदा कमाना चाहता है। अमेरिका इससे बेहतर मॉडल पेश कर सकता है।’’
वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्कॉलर्स में एक प्रोग्राम में वेल्स ने कहा, ‘‘चीन अपने इस अरबों डॉलर के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए गैर-रियायती लोन दे रहा है। चीनी कंपनियां अपने मजदूर और सामान भी भेज रही हैं। इससे पाकिस्तान में बेरोजगारी का खतरा बढ़ रहा है।’’
अमेरिकी सहायक मंत्री के मुताबिक, ‘‘अगर पाकिस्तान चीन को कर्ज चुकाने में देरी करेगा, तो उसके आर्थिक विकास पर खासा असर पड़ेगा। साथ ही प्रधानमंत्री इमरान खान का देश में रिफॉर्म्स का एजेंडा भी प्रभावित होगा।’’
वेल्स ने यह भी कहा कि चीन का यह मॉडल (सीपीईसी) अलग है। हमने दुनियाभर में देखा है कि अमेरिकी कंपनियों के मॉडल सफल रहे हैं, क्योंकि हम पैसे को तरजीह नहीं देते। हम मूल्यों, प्रक्रिया और विशेषज्ञता पर काम करते हैं। साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करते हैं। अमेरिका की कई कंपनियों मसलन उबर, एक्सॉन मोबिल, पेप्सिको ने पाकिस्तान में करीब 1.3 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काशगर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। सीपीईसी के तहत चीन सड़क, बंदरगाह, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
इसी साल अक्टूबर में कॉरिडोर के दो हिस्सों का काम ठेकेदारों को भुगतान न होने की वजह से बंद करना पड़ा। पाकिस्तान सरकार की पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) ने इसकी जानकारी दी थी। इमरान अक्टूबर में ही चीन दौरे पर गए थे। उन्होंने चीन सरकार को भरोसा दिलाया था कि कॉरिडोर का पूरा मामला अब वे ही देखेंगे।
पीएसी ने वित्त मंत्रालय और योजना आयोग को पत्र लिखा था। पीएसी के चेयरमैन नूर आलम खान ने 2017-18 की ऑडिट रिपोर्ट भी पत्र के साथ संलग्न की थी। ‘द न्यूज’ अखबार के मुताबिक, पहली और दूसरी तिमाही के लिए कुल 20 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपए की जरूरत थी। सरकार ने सिर्फ 7 हजार करोड़ रुपए जारी किए।