रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के रुझानों में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। महागठबंधन के सीएम कैंडिडेट हेमंत सोरेन पिता शिबू सोरेन से मिलने पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हेमंत सोरेन ने कहा कि यह परिणाम पिता शिबू सोरेन के समर्पण और परिश्रम का नतीजा हैं। आज जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के संकल्प का दिन है।
81 विधानसभा सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 41 का आंकड़ा चाहिए और महागठबंधन को 43 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। सत्ताधारी भाजपा 28 सीटों पर आगे है। मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर पूर्व सीट पर पीछे चल रहे हैं। 24 साल से वे इस सीट पर जीतते आए हैं। रघुवर की कैबिनेट के 10 में से 6 मंत्री भी पीछे चल रहे हैं। हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट दोनों सीटों पर आगे चल रहे हैं।
Hemant Soren, Jharkhand Mukti Morcha (JMM) in Ranchi: Today a new chapter will begin for this state. I want to assure everyone that their hopes will not be broken irrespective of their caste, creed, religion and profession. #JharkhandElectionResults pic.twitter.com/vIONxhl98K
— ANI (@ANI) December 23, 2019
7 महीने पहले मई 2019 में जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तो भाजपा ने 51% वोट हासिल कर 54 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई थी। 35 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की लीड 50 हजार से अधिक थी। इनमें 16 विधानसभा क्षेत्रों में लीड मार्जिन 90 हजार से ज्यादा था। भाजपा ने राज्य की 14 में से 11 लोकसभा सीटें भी जीती थीं। आजसू भी उसके साथ जिसे 1 सीट मिली थी। इसी वजह से भाजपा को झारखंड में सत्ता में वापसी की उम्मीद थी। झारखंड का ट्रेंड भी बताता है कि लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर लगभग 10% गिरता है। इस हिसाब से भाजपा का वोट शेयर 51% से घटकर 41% पर टिकता, तो भी वह सत्ता में वापसी कर लेती। लेकिन कुर्मी-कोयरी समेत पिछड़े और दलितों के बीच ठीक-ठाक आधार रखने वाली सहयोगी पार्टी आजसू उससे छिटक गई। उसे चुनाव में 8% वोट मिले। नतीजा यह हुआ कि भाजपा का वोट शेयर भी अनुमानित 41% से 8 फीसदी और कम होकर 33% पर रह गया।
झामुमो-कांग्रेस-राजद गठजोड़ ने चुनाव घोषणा से पहले ही सीटों का बंटवारा कर जमीन पर कवायद शुरू कर दी थी। वहीं, भाजपा-आजसू गठजोड़ चुनाव घोषणा के बाद टूटा। आजसू पिछले 5 साल भाजपा के साथ सत्ता में थी। सीटों के बंटवारे के सवाल पर भाजपा ने पुराने सहयोगी आजसू पार्टी को खोया। भाजपा ने मंत्री सरयू राय का टिकट काट दिया। दूसरे दलों से आए नेताओं को भी टिकट दिए गए। ये दोनों ऐसी चूक थीं, जो चुनावी हवा का रुख भाजपा के खिलाफ करने में मददगार साबित हुईं।