प्रतिदिन :
प्याज, रोटी, नागरिकता और सियासत
२०१९ बिदा हो रहा है, प्याज की रिकार्ड तोड़ कीमतों से लेकर नागरिकता संशोधन कानून की आंच में पकते राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर जैसे मुद्दों के सवालों के साथ , वन नेशन वन कार्ड , शुद्ध पेय जल की उपलब्धता और आभूषणों के लिए हॉल मार्किंग को अनिवार्य बनाने जैसे निर्णयों के साथ | सारे मुद्दे देश के उस नागरिक से जुड़े है, जो आम आदमी है |
२०१९ के अंतिम महीने में प्याज की अब तक की सर्वाधिक ऊंची कीमतों ने जहां आम आदमी के आंसू निकाल दिये वहीं एक ही राशन कार्ड से देश में कही भी राशन लेने , पाइप के माध्यम से शुद्ध पेय जल की आपूर्ति और हालमार्किंग के फैसलों से राहत और सहूलियत भी मिली, पर नागरिकता के मुद्दे पर हुई कारगुजारियों ने देश के माहौल में कुनैन घोल दी ।
भारत में प्याज लगभग हर राज्य में होती है | प्याज उत्पादक राज्यों में खरीफ प्याज की खेती के दौरान अधिक वर्षा होने से नष्ट हो गयी जिसकें कारण मांग और आपूर्ति में ३० से ४० प्रतिशत का अंतर आ गया और इसके कारण इसका मूल्य दो सौ रुपये प्रति किलो तक निकल गया। बाद में सरकार ने इसके आयात का निर्णय किया और जमाखोरी रोकने को लेकर कई कदम उठाये गये, पर देर हो गई थी | अभी भी रोटी के साथ प्याज खाने वाले चैन से रोटी नहीं खा पा रहे हैं, यह दुविधा कब तक समाप्त होगी | न तो सरकार बता पा रही है और न कोई और | प्याज से आग लगाने वाले जरुर दिख रहे है, सडक पर भी गोदामों में भी |
देश में घूम-घूम का मजदूरी करने वालों को ध्यान में रखकर इसी वर्ष एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना की शुरुआत की गयी । इसके तहत लाभार्थी अपने राशन कार्ड का नम्बर बताकर किसी भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से सस्ते दर पर सीमित मात्रा में राशन प्राप्त कर सकते है। ग्यारह राज्यों में यह सुविधा उपलब्ध करायी गयी है जबकि उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ में यह योजना आंशिक रुप से लागू की गयी है ।इसका कहीं कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि देश एक है तो कुछ राज्यों में यह योजना आंशिक रूप से क्यों चली ? पूरी तरह कौन लागू करेगा |
इस अवधि में २३.५ करोड़ राशन कार्डो का डिजिटलीकरण किया गया और लगभग ८६ प्रतिशत (२० करोड़) राशन कार्डो को आधार नम्बर से जोड़ा गया । कुल २६ राज्यों में कम्प्यूटरीकृत आपूर्ति श्रृंखला की शुरुआत की गयी । देश के २७ राज्यों के ५.३५ लाख सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में से ४,४५ लाख से अधिक दुकानों को ई- पीओएस उपकरण से लैस कर वितरण व्यवस्था को स्वचालित बनाया गया ।इसके बाद भी ये वर्ग नाराज है |
शुद्ध पानी की पूर्ति की स्थिति इस वर्ष भी गंभीर रही | राष्ट्रीय राजधानी में पेय जल की गुणवत्ता की जांच करायी और मानकों पर खड़े नहीं उतरने पर घटिया पानी की आपूर्ति को लेकर सवाल खड़े किये । इसके बाद राज्यों की राजधानियों के भी पानी की गुणवत्ता की जांच करायी गयी और कुछ राज्यों के पानी की गुणवत्ता को बेहतर पाया गया । सरकार ने जिला स्तर पर पानी की गुणवत्ता की जांच कराने का भी संकल्प व्यक्त किया है । संकल्प जमीन पर नहीं उतर सका कई जिलों में अभी शुरुआत नहीं हुई है |
सरकार भी गजब मजाक किया है,गरीबों के साथ | पानी,रोटी, प्याज और नागरिकता से जूझते गरीबको गहनों में उलझा दिया | सरकार ने एलान किया कि आभूषणों की खरीद में गरीब लोगों और महिलाओं के ठगी के शिकार होने की घटनपाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से सोनें के आभूषणों और कला-कृतियों पर हॉल मार्किंग को अनिवार्य किया गया है । यह योजना नये साल का उपहार है,परन्तु १५ जनवरी २०२१ यानि एक साल बाद से अनिवार्य होगी । अगले साल १५ जनवरी तक इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी जायेगी और दुकानदारों को पुराने गहनों को निपटाने के लिए एक साल का समय दिया जायेगा । कैसी राहत है ? शुद्ध पानी नहीं, रोटी नहीं, नागरिकता का उलझा सवाल है | यह कुछ नहीं बस सियासत है |