- अभिमत

सकल घरेलू उत्पाद के आईने में भारत की आर्थिकी कमजोर

प्रतिदिन :

सकल घरेलू उत्पाद के आईने में भारत की आर्थिकी कमजोर
पूर्वानुमान देश की आथिक दशा के लिए ठीक नहीं है, देश की आर्थिक दशा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर निर्भर होती है | चालू वित्त वर्ष २०१९ -२० में सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी ) के आंकड़ों का पहला पूर्वानुमान आ गया है| इस अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद वृध्धि ५ प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है | यह अनुमान और किसी का नहीं, सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय का है | मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी [सकल घरेलू उत्पाद ] ५ प्रतिशत रह सकती है| यह वित्त वर्ष २०१८-१९ में ६.८ प्रतिशत थी | वहीं वित्त वर्ष २०१७-१८ में जीडीपी वृद्धि ७.२ प्रतिशत थी| ग्रॉस वैल्यू एडेड) की अनुमानित ग्रोथ ४.९ प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो २०१८-१९ में ६.६ प्रतिशत थी| यह अग्रिम तस्वीर चालू वर्ष के ९ महीने के आंकड़ों पर आधारित है| विषय विश्ग्यों की माने तो यदि जीडीपी वृद्धि अगर५ प्रतिशत रहती है तो ये११ साल का सबसे निचले स्तर (वर्ष २००९ ) के बराबर होगा|

खास बात यह है कि यह आंकड़ा ऐसे समय में जारी किया गया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती से गुजर रही है| आंकड़े गवाही देते हैं कि जून-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर पिव्हले ६ वर्ष के निचले स्तर अर्थात ४.५ प्रतिशत रही| इससे पहले, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष २०१९-२० के दौरान देश की जीडीपी बढ़त के अनुमान को ६.१ प्रतिशत से घटाकर ५ प्रतिशत कर दिया था| यह जीडीपी आंकड़ा बजट के पहले अनुमान का हैं| सरकार एक फरवरी को बजट पेश करेगी, बजट के बाद दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया जाएगा|

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने ७ जनवरी को राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया है . इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटना है| चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर दो प्रतिशत पर आने का अनुमान है| इससे ही देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर पांच प्रतिशत पर आने का अनुमान है| पर यह एक सरकारी आंकड़ों में अनुमान है जिसके बदलने की सम्भावना कम है और इसके लिए और भी कारक हैं |इससे पिछले वित्त वर्ष २०१८-१९ में आर्थिक वृद्धि दर ६.८ प्रतिशत रही थी|

वैसे जी डी पी के लिए जिम्मेदार ८ में से ६ सेक्टर की वृद्धि घटने का अनुमान है | जैसे कृषि में वृद्धि २.९प्रतिशत से घटकर २.८ प्रतिशत रहने का अनुमानहै| खनन में वृद्धि बढ़ सकती है | यह १.३ प्रतिशत से बढ़कर १.५ प्रतिशत हो सकती है| विनिर्माण ३.२ प्रतिशत से गिरकर २ प्रतिशत पर आने का अनुमान है|निर्माण में यह वृद्धि ८.७ प्रतिशत से घटकर ३.२ प्रतिशत पर आ सकती है|इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ६.४ प्रतिशत रही थी.अग्रिम अनुमान के अनुसार कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जलापूर्ति जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर भी नीचे आएगी|

इसके विपरीत खनन, लोक प्रशासन और रक्षा जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर में मामूली सुधार का अनुमान है | इस सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना आधार पर फार्म सेक्टर वृद्धि २.९ प्रतिशत फीसदी की तुलना में २.८ प्रतिशत रह सकती है|

कुल मिलाकर जीडीपी वृद्धि ११.२ प्रतिशत के मुकाबले७.५ प्रतिशत , उद्ध्योग सेक्टर वृद्धि ६.९ प्रतिशत की तुलना में२.५ प्रतिशत , सर्विस सेक्टर में वृद्धि ७.५ प्रतिशत की तुलना में ६.९ प्रतिशत और फाइनेंशियल, रियल एस्टेट सर्विसेज वृद्धि ७.४ प्रतिशत से घटकर ६.४ प्रतिशत रहने का अनुमान है| आने वाले दिन बहुत अच्छे नहीं होंगे, सरकार को अभी से से कुछ करना चाहिए | अमेरिका –ईरान के बीच यदि तनाव और बढ़ेगा तो उसका असर भी भारतीय आर्थिकी पर होगा |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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