जम्मू-कश्मीर के पुलवामा (Pulwama) जिले के त्राल के रहने वाले देविंदर सिंह (Devinder Singh) के परिवार में 23 साल और 26 साल की दो बेटियां और एक बेटा है। दोनों बेटियां बांग्लादेश में एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई कर रही हैं। बेटा अभी स्कूल में है। देविंदर की पत्नी स्कूल टीचर हैं। देविंदर 1990 में जम्मू-कश्मीर में बतौर सब-इंस्पेक्टर शामिल हुआ था। 1996 में ही उसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) में शामिल कर लिया गया। एसओजी में देविंदर ने 14 साल तक काम किया। कई ऑपरेशंस में हिस्सा लिया। 1997 में उसका प्रमोशन कर सब-इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर (Inspector)बना दिया गया। 2003 में उसे डीएसपी (DSP) बनाया गया। 2018 में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर देविंदर को ‘शेर-ए-कश्मीर गैलेंट्री'(Sher-e-Kashmir Gallantry) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। देविंदर का श्रीनगर के इंदिरा नगर इलाके और सनत नगर इलाके में एक-एक घर है। उसका एक घर जम्मू में भी है और दिल्ली में भी एक फ्लैट है। सूत्रों से पता चला है कि उसे कई बार आतंकियों ने धमकी भी दी और यही वजह रही कि वो त्राल से श्रीनगर आकर रहने लगा। उसका घर इंदिरा नगर में सेना की 15वीं कोर के मुख्यालय के पास ही है।
J&K Police: It is to clarify that Deputy SP, Davinder Singh is not awarded any gallantry or meritorious medal by MHA as has been reported by some media outlets/persons. Only gallantry medal awarded to him during his service was by the erstwhile J&K state, on Independence Day 2018 pic.twitter.com/0BTYzHCthO
— ANI (@ANI) January 14, 2020
जम्मू-कश्मीर पुलिस (jammu kashmir police) के निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह (Deputy SP Davinder Singh) को रविवार को हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों के साथ पकड़ा गया था। फिलहाल देविंदर पुलिस हिरासत में है और पुलिस जांच पूरी होने के बाद उसे नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) को सौंप दिया जाएगा। देविंदर का करियर शुरू से ही विवादों में रहा है। कई बार उसका नाम गैर-कानूनी (Illegal) गतिविधियों में भी आया, लेकिन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने की वजह से उस पर कोई जांच नहीं की गई।
1990 में पुलिस में आते ही देविंदर पर गैरकानूनी काम करने के आरोप लगे। 1993 में देविंदर की ड्यूटी जब श्रीनगर के राममुंशी बाग पुलिस स्टेशन पर थी, तब उसने चरस के साथ एक व्यक्ति को पकड़ा। लेकिन देविंदर ने उस आदमी को न सिर्फ छोड़ दिया, बल्कि चरस भी बेच दी। पुलिस सूत्र बताते हैं कि देविंदर तरह-तरह के गैरकानूनी कामों में शामिल रहता था। इसके अलावा एक बार उसने डेयरी प्रोडक्ट से भरे ट्रक को पकड़ा, लेकिन उसका केस भी गैर-कानूनी तरीके से रफा-दफा कर दिया। इस घटना के बाद देविंदर पर पुलिस जांच भी बैठाई गई, जिसमें वह दोषी पाया गया। लेकिन पुलिस के सीनियर अधिकारियों की मदद से वह बच गया। देविंदर कई बार पुलिस की नजर में आया, लेकिन हर बार आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के रिकॉर्ड ने उसे बचा लिया।
2001 में संसद पर हुए हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु (Afzal Guru) ने अपने वकील को लिखी चिट्ठी में लिखा था कि देविंदर ने उसे हिरासत में लेकर काफी यातनाएं दी थीं। देविंदर के कहने पर ही उसने मोहम्मद नाम के एक आदमी को दिल्ली पहुंचाया और वहां उसके रहने का इंतजाम भी किया। बाद में पता चला था कि मोहम्मद भी संसद हमले में शामिल आतंकवादियों में से एक था। हालांकि, सूत्रों से पता चला है कि अफजल की इस चिट्ठी के बाद भी देविंदर पर न तो कोई कार्रवाई की गई और न जांच की गई।
Jammu & Kashmir DGP Dilbag Singh on Deputy SP Davinder Singh: He has been suspended, we are recommending his sacking to the government. Cannot share right now what has been revealed during the interrogation. pic.twitter.com/qMRKJd4Xhq
— ANI (@ANI) January 15, 2020
इस बार कैसे पकड़ा गया देविंदर?
कुछ हफ्ते पहले ही पुलिस को खबर मिली थी कि देविंदर सिंह आतंकी नवीद बाबू को शोपियां से श्रीनगर ला रहा है। तब से ही वो पुलिस के रडार पर था। सूत्र कहते हैं कि देविंदर ने नवीद को श्रीनगर में रुकने की जगह दी और उसे वह अपने साथ जम्मू ले जा रहा था। आगे नवीद को पाकिस्तान जाना था। लेकिन हाईवे पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीआईजी अतुल गोयल ने देविंदर को हिजबुल के आतंकी नवीद बाबू और आतंकी समर्थक इरफान अहमद के साथ पकड़ लिया।
देविंदर के साथ पकड़ाए लोग कौन हैं?
देविंदर के साथ जो तीन लोग पकड़ाए हैं, उनमें से एक नवीद बाबू हिजबुल मुजाहिदीन का मोस्ट वांटेड आतंकी (Most wanted terrorists) है। शोपियां का रहने वाला नवीद आतंकी बनने से पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस में ही था। 2017 में नवीद बड़गाम से 5 एके-47 लेकर फरार हो गया था। नवीद अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई गैर-कश्मीरियों की मौत में भी शामिल था। देविंदर के साथ दूसरा आंतकी रफी अहमद था, जो नवीद के साथ ही हिजबुल में था। तीसरा इरफान अहमद था, जो पेशे से वकील है। सूत्रों के मुताबिक, इरफान 5 बार पाकिस्तान गया था और जब इरफान को पकड़ा गया तो उसके साथ उसका पासपोर्ट भी मिला। पुलिस ने पता लगाया है कि इरफान का पिता भी आतंकी था, जो 1990 के दशक में एनकाउंटर में मारा गया था।
देविंदर पकड़ा गया तो बोला- आपने पूरा गेम खराब कर दिया
सूत्रों के मुताबिक, जब देविंदर को पुलिस हिरासत में लिया गया तो उसने बताया कि उसके साथ जो आतंकवादी हैं, वो दरअसल उसके पीएसओ यानी पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर हैं। हालांकि, जब डीआईजी ने उससे पूछताछ की तो उसने कहा कि आपने सारा गेम खराब कर दिया। देविंदर ने पूछताछ में बताया कि वह एक ऑपरेशन में था और अगर ये ऑपरेशन हो जाता तो जम्मू-कश्मीर पुलिस को काफी सराहना मिलती। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने देविंदर के घर पर छापे मारे और वहां से काफी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया। इनमें कई ग्रेनेड और एके-47 राइफल शामिल हैं। पुलिस सूत्र बताते हैं कि इन सबके पीछे देविंदर का मकसद सिर्फ पैसा कमाना ही था और पैसों के लिए ही उसने आतंकियों के साथ मिलकर साजिश रची। पता ये भी चला है कि पिछले साल भी देविंदर नवीद को अपने साथ जम्मू लेकर गया था और वहां नवीद उसी के घर पर ठहरा था। देविंदर को फिलहाल पुलिस से सस्पेंड कर दिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ के बाद देविंदर को एनआईए के हवाले किया जाएगा। जबकि, नवीद, रफी और इरफान से राज्य और केंद्र सरकार की कई जांच एजेंसियों की एक टीम पूछताछ कर रही है।
पुलिस रडार में आया, फिर भी अहम जगहों पर ही उसकी पोस्टिंग
देविंदर कई बार पुलिस के रडार पर आया लेकिन उसके बावजूद उसकी अहम जगहों पर ही तैनाती की जाती रही। पिछले हफ्ते ही देविंदर उन अफसरों की टीम में शामिल था, जिस टीम ने विदेशी डेलिगेशन को श्रीनगर एयरपोर्ट पर रिसीव किया था। उसकी पोस्टिंग श्रीनगर एयरपोर्ट पर पुलिस के एंटी-हाईजैकिंग विंग में की गई थी। 2017 में जब पुलवामा में डिस्ट्रिक्ट पुलिस लाइन पर जैश-ए-मोहम्मद का फिदायीन हमला हुआ था, तब देविंदर पुलिस लाइन में बतौर डीएसपी तैनात था। सूत्रों से पता चला है कि हमले की रात देविंदर पुलिस लाइन में ही रुका था और जिस वक्त सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, उस वक्त वो आतंकियों के खिलाफ लड़ रही पुलिस पार्टी का भी हिस्सा था। इसके कारण ही देविंदर को 2018 में ‘शेर-ए-कश्मीर गैलेंट्री अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद तीन सवाल उठते हैं:
- अफजल की चिट्ठी के बाद भी पुलिस ने देविंदर पर जांच क्यों नहीं की?
- देविंदर कब से आतंकियों के साथ मिलकर काम कर रहा था और इसके पीछे उसकी मंशा क्या थी?
- क्या देविंदर अकेला ही काम कर रहा था या उसके साथ और भी लोग शामिल थे?