सूर्य के अध्ययन के लिए सोमवार को नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने सोलर ऑर्बिटर मिशन लॉन्च किया। यह ऑर्बिटर सूर्य के उत्तरी और ध्रुवों की पहली तस्वीरें खींचेगा। भारतीय समयानुसार इसे सोमवार सुबह 9:33 बजे फ्लोरिडा के केप कैनेवरल स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। यह सूर्य के करीब पहुंचने के लिए 7 साल में करीब 4 करोड़ 18 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा।
It’s official – we’re headed to the Sun! ☀️
At 11:03pm ET on Sunday, Feb. 9, #SolarOrbiter, an international collaboration between @ESA and NASA, launched on its journey to study our closest star: https://t.co/5R6yR18x2S
Photo Credit: @ulalaunch pic.twitter.com/zSjBkzocJP
— NASA (@NASA) February 10, 2020
ऑर्बिटर सूर्य के बारे में उन सभी सवालों के जवाब खोजने की कोशिश करेगा, जो हमारे सोलर सिस्टम पर असर डालते हैं। ऑर्बिटर के लिए निर्धारित प्रोग्राम में सूर्य की सतह पर लगातार उड़ने वाले आवेशित कणों, हवा के प्रवाह, सूर्य के अंदर चुंबकीय क्षेत्र और इससे बनने वाले हेलिओस्फियर के संबंध की पड़ताल शामिल है।
How will #SolarOrbiter work in sync with @NASA ‘s #ParkerSolarProbe to maximise the scientific insights: pic.twitter.com/qVW87ttosB
— ESA Science (@esascience) February 10, 2020
पृथ्वी और शुक्र की कक्षा पार करेगा
इस सोलर ऑर्बिटर को 2 टन भारी अंतरिक्ष यान में रखा गया है। इसे सूर्य की कक्षा तक ले जाने के लिए ‘यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस वी’ रॉकेट का इस्तेमाल किया गया। सूर्य के करीब पहुंचने के लिए अगले 7 साल में यह करीब 4 करोड़ 18 लाख किलोमीटर (260 लाख मिलियन मील) की दूरी पर यात्रा करेगा। सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की तस्वीरों को कैद करने के लिए ऑर्बिटर एक्लिप्टिक प्लेन से बाहर निकलेगा। पृथ्वी और शुक्र की कक्षा से ऊपर उठकर यह अंतरिक्ष में इस तरह स्थापित होगा कि सूर्य के दोनों ध्रुवों का नजारा दिखाई दे सके। इसके लिए इसे 24 डिग्री तक घुमाया जाएगा।
हमारा नजरिया बदलेगा: नासा
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंट्रेअन ग्रीनबेल्ट मैरीलैंड में डिप्टी प्रोजेक्ट वैज्ञानिक टेरेसा निक्स-चिंचिला ने कहा, “हम नहीं जानते कि हम क्या देखने जा रहे हैं, लेकिन अगले कुछ वर्षों में सूर्य के बारे में हमारा दृष्टिकोण बहुत बदलने वाला है।”
ऑर्बिटर के लिए खास हीट शील्ड
सूर्य की झुलसा देने वाली गर्मी के बीच ऑर्बिटर की यात्रा के लिए एक खास हीट शील्ड तैयार की गई है। इसमें कैल्शियम फॉस्फेट की काली कोटिंग की गई है। यह कोटिंग कोयले के चूरे की तरह होती है, जिसे हजारों साल पहले गुफाओं में चित्र बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था। नासा ने कहा कि अंतरिक्ष यान के टेलीस्कोप हीट शील्ड के आर-पार देख सकें, इसके लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं।
सूर्य के बारे में जानकारी बढ़ेगी: ईएसए
मैड्रिड में यूरोपीय अंतरिक्ष खगोल विज्ञान केंद्र में ईएसए के उप परियोजना वैज्ञानिक यानिस जूगनेलिस ने कहा- ये सवाल नए नहीं हैं, लेकिन हम अभी भी अपने स्टार के बारे में बुनियादी बातें नहीं जानते हैं। इनकी पड़ताल के जरिए वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि सूर्य अंतरिक्ष के मौसम को कैसे प्रभावित करता है। साथ ही इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष में बनने वाली उन परिस्थितियों का अध्ययन भी किया जाएगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों, उपग्रहों, रेडियो और जीपीएस जैसी रोजमर्रा की तकनीक को प्रभावित कर सकती हैं।
नासा का पार्कर और इसरो का आदित्य भी सूर्य का अध्ययन करेगा
नासा ने 2018 में पार्कर सोलर प्रोब को सूर्य की कक्षा में भेजा। इसका मकसद सूर्य के बाहरी कोरोना का अध्ययन करना है। वहीं, भारत के इसरो ने 2020 के अंत में सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहले मिशन आदित्य को भेजने की योजना बनाई है।