काेविड-19 (COVI-19) दुनिया में फैली 17वीं महामारी है। पिछले दशक से हर दो साल में एक बड़ी बीमारी फैल रही है। 2012 के बाद से कोरोना (Corona virus) सहित पांच बड़ी बीमारियां सामने आईं हैं। जब से इंसान ने तारीखों का हिसाब रखना शुरू किया है, यानी जीरो एडी से अब तक दो हजार वर्षों में इन महामारियों ने 18 करोड़ 15 लाख से ज्यादा लाेगों की जान ली है। डिस्कवरी, बीबीसी, लाइव साइंस, हिस्ट्री टुडे और यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा मौतें जस्टिनियन प्लेग, ब्लैक डेथ प्लेग, स्पैनिश इनफ्लूएंजा से हुई हैं। इन तीनों ने 5-5 करोड़ जाने ली हैं यानी कुल 15 करोड़ लोगों की जान चली गई। तीनाें का असर पूरी दुनिया में हुआ।
जस्टिनियन प्लेग से दुनिया चार साल प्रभावित रही थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्लेग से दुनिया की करीब 10% जनसंख्या खत्म हो गई थी। उस समय के बाइजेंटाइन साम्राज्य के शहंशाह जस्टिनियन भी बीमारी से ग्रसित हो गए थे, लेकिन उनकी जान बच गई।
इसलिए इस प्लेग को जस्टिनियन प्लेग कहा गया
खास बात यह है कि जीरो एडी से लेकर वर्ष 1852 तक दुनिया में तीन बड़े संक्रामक रोग फैले। इसके बाद इसमें तेजी आ गई। अगले 200 वर्षों में सात संक्रमण दुनियाभर में फैले। इसके बाद तो संक्रमण फैलने की गति और तेज हो गई। नई सदी में बीते 18 सालों में ही कोरोना को मिलाकर 8 संक्रमण दुनिया ने देखे हैं। 19वीं शताब्दी के बाद दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने लगीं इसलिए अब महामारी में मौतें कम होने लगी हैं।
पांच वायरस के कारगर वैक्सीन नहीं
चिंता की बात यह है कि कई वायरस के वैक्सीन बना लेने के बाद भी नए-नए तरह के वायरस जन्म ले रहे हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन का मानना है कि आने वाले समय में ये वायरस और तेजी से नए रूप में हमारे सामने आते रहेंगे। पिछले कुछ वर्षों में नए वायरस बहुत तेजी से सामने आए हैं इसलिए इनका वैक्सीन बना पाना मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि आज भी एचआईवी, सार्स, मर्स, इबोला के कारगर वैक्सीन नहीं बन पाए हैं। अब कोरोना ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है।
ये बड़ी बीमारियां जानलेवा बनी
वर्ष (एडी) | महामारी/बीमारी | मौत |
165 | एंटोनाइन प्लेग | 50 लाख |
541 | जस्टिनियन प्लेग | 5 करोड़ |
1346-53 | ब्लैक डेथ प्लेग | 5 करोड़ |
1852 | कॉलेरा | 10 लाख |
1889 | रशियन फ्लू | 10 लाख |
1910 | कॉलेरा | 9 लाख |
1918 | स्पैनिश फ्लू | 5 करोड़ |
1957 | एशियन फ्लू | 11 लाख |
1968 | हांग-कांग फ्लू | 10 लाख |
1981 | एचआईवी एड्स | 2.22 करोड़ |
2002 | सार्स | 770 |
2005-12 | एचआईवी एड्स | 2.22 करोड़ |
2009 | स्वाइन फ्लू | 2 लाख |
2012 से 2014 | मर्स | 850 |
2014-16 | इबोला | 11300 |
2015 | जीका | आंकड़ा नहीं |
2016 | डेंगू | 38 हजार |