तीन घंटे चली यह झड़प दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच लद्दाख में 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में हुई। उसी गालवन वैली में, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी। भारत ने चीन की तरफ हुई बातचीत इंटरसेप्ट की है। इसके मुताबिक, चीन के 43 सैनिक हताहत होने की खबर है, लेकिन चीन ने यह कबूला नहीं है।
खबर के मुताबिक, 20 में से 3 सैनिक गोलियां लगने से शहीद हुए हैं। 45 जवानों को बंधक बनाया गया था और इनमें से 25 को छोड़ दिया गया है। 135 भारतीय जवान घायल हैं।
इससे पहले सेना ने आधिकारिक बयान में कहा था कि दोनों सेनाएं अब पीछे हो चुकी हैं। लाइन ऑफ ड्यूटी के दौरान भारत के 17 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे। वे शून्य से भी कम टेम्परेचर में हाई एल्टीट्यूड वाले इलाकों में थे। इस वजह से उनकी जान चली गई। कुल शहीदों की संख्या 20 हो चुकी है।
जो शहीद हुए हैं, उनमें 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू शामिल हैं। दो अन्य नामों की पुष्टि हुई है। ये हैं- हवलदार पालानी और सिपाही कुंदन झा। बाकी नाम अभी सामने नहीं आए हैं।