प्रतिदिन : कोरोना से जूझ रहे देश के लिए यह एक बड़ी खबर है मरीज बढने के बावजूद कुछ जगहों पर कोरोना का असर धीमा पडऩा शुरू हो गया है, क्योंकि वहां प्रतिरोधकता तेजी से बढऩे लगी है। इसके बावजूद अधिकांश जगहों पर अनेक लोग अब भी आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं। अब हर जगह इस महामारी का प्रसार चरम बिंदु तक होगा और फिर उसमें गिरावट आने लगेगी। हर जगह के लिए चरम पर पहुंचने का समय भी अलग-अलग ही होगा। निपटने का तरीका भी अलग होगा और यही सबसे ज्यादा सतर्कता का समय है और रहेगा | भारत में बीते २४ घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के १२८८१ नए मामले सामने आए हैं| यह एक दिन में नए मामलों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. २४ घंटों में संक्रमण से३३४ लोगों की मौत ही पुष्टि हुई है| भारत में कुल कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या अब ३६६९४६ हो गई है| इनमें से १६०३८४ मामले सक्रिय हैं और १९४३२४ लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं. अब तक संक्रमण की वजह से कुल १२२३७ लोगों की मौत हुई है|
कोरोना महामारी के इस चरण को देखते हुए स्थानीय स्तर पर बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने की जरूरत है जिससे जोखिम का सामना कर रही आबादी को बचाया जा सके। हर एक शहर एवं जिले में महामारी की मौजूदा स्थिति के बारे में साप्ताहिक आंकड़ों को देखते हुए उसके हिसाब से लोगों को इसके कहर से बचाने की तैयारी करनी होगी। इसके लिए आंकड़ों, सोच-विचार और समझदारी की विकेंद्रित स्तर पर जरूरत है। जब संक्रमण अपने चरम पर हो तब अधिक सख्त कदम उठाने होंगे।
चिकित्सा प्रबंध व्यवस्था के धराशायी होते जाना, बीमारी एवं मौत से जुड़ी मानवीय त्रासदी और डर की वजह से होने वाला आर्थिक पराभव, इसके आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक तनाव को बढ़ाने का काम करेगा। भारत की क्षमताएं कम हैं और हमें यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि कोई इस समस्या को दूर करने वाला है। हर शहर और जिले में कारोबार जगत, स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े लोगों और समझदार लोगों को एक साथ खड़े होने की जरूरत है ताकि इस मुश्किल दौर से निकलने के लिए सोच-समझकर योजना बनाई जाए और उससे निकला जा सके।
भले ही हमारा ध्यान कोविड-१९ के संक्रमितों की जान बचाने पर है लेकिन स्वास्थ्य देखभाल संकट को लेकर भी फिक्रमंद होना उतना ही अहम है। मरीजों के भीतर अब डर बैठने लगा है, स्वास्थ्य देखभाल संगठन भारी मुश्किल में हैं और टेली-मेडिसन कोई असरदार जवाब नहीं हो पाया है। आम लोग एवं स्वास्थ्य देखभाल संगठन लॉकडाउन की अवधि में अपनी सांस रोककर बैठे हुए थे लेकिन ऐसा हमेशा नहीं रह सकता है। हमें स्वास्थ्य देखभाल की सामान्य स्थिति बहाल करने की जरूरत है।
अभी इस महामारी का चरम पर पहुंचना बाकी है और वह अलग-अलग जगहों पर अलग समय पर होगा। ऐसे में हम मास्क के इस्तेमाल, वेंटिलेटर की उपलब्धता और भीड़भाड़ से बचने में कोताही नहीं बरतना चाहिए । महामारी के इस चरम दौर गुजरने के बाद मनोदशा एवं समृद्धि का पुनर्निर्माण खासा चुनौतीपूर्ण होगा। हम सभी को लक्ष्य पर निगाह बनाए रखने, आंकड़ों के विश्लेषण और कई कदम उठाने की जरूरत है। सैकड़ों शोधपत्र आने चाहिए जिनसे साक्ष्य तैयार होने के साथ ही भविष्य के लिए बेहतर कदमों का मार्गदर्शन भी मिलेगा।