- अभिमत

तकनीक तो दोहरी धार वाला हथियार है

प्रतिदिन :
तकनीक तो दोहरी धार वाला हथियार है
दिल्ली पुलिस के अन्वेषण ने प्रमाणित कर दिया है कि तकनीक के सहारे निर्माण और विध्वंस दोनों किया जा सकता है | दिशा रवि, निकिता जेकब और शांतनु को प्रमाणित करना होगा की उन्होंने तकनालाजी का प्रयोग सद्भावना से  किया था |वास्तव में तकनीक ने सारा परिदृश्य बदल दिया है| तकनीक के खतरनाक तरीकों ने चुपके से कब हमारे जीवन में दखल दे दिया, हमें पता ही नहीं चला| आज सब, मौका मिलते ही मोबाइल के नये मॉडल और पैकेज और सोशल मीडिया और इंटरनेट की बातें करने लगते हैं. व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर तो जीवन की जरूरतों में शामिल हो गये हैं| मोबाइल फोन  और उसके एप के बिना तो हमारा जीवन जैसे अधूरा ही है|
इनके बगैर जैसे जीवन का कोई अहम हिस्सा अधूरा हो गया हो| सूचनाएं हों अथवा कारोबार हो या फिर मनोरंजन, मोबाइल फोन की लोगों को लत लग गयी है| भारत में मोबाइल के इस्तेमाल पर नोकिया ने हाल में एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में लोग अन्य देशों की तुलना में स्मार्ट फोन पर औसतन ज्यादा समय बिताते हैं|
स्मार्टफोन पर भारतीय रोजाना लगभग पांच घंटे तक व्यतीत करते हैं| यह समय दुनियाभर में सबसे ज्यादा है| भारत में स्मार्ट फोन पर वीडियो देखने का चलन खासा बढ़ा है और यह २०२५ तक बढ़ कर चार गुना हो जायेगा| देश में पिछले पांच वर्षों में डेटा ट्रैफिक में लगभग ६० गुना से अधिक की वृद्धि हुई है|यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है| यही लत टूलकिट जैसे हंगामेखेज वारदात की पैदाइश है |
आज देश में एक सामान्य उपयोगकर्ता का मोबाइल डेटा उपयोग चार गुना बढ़ गया| सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, २०२० में घर से काम करने की जरूरत के कारण डेटा का उपयोग तेजी से बढ़ा है. डेटा उपयोग के मामले में भारत भी बड़े बाजार में शामिल हो गया है| यहां प्रति माह प्रति उपभोक्ता मोबाइल डेटा उपयोग १३.५ जीबी से अधिक हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति माह प्रति उपयोगकर्ता डाेटा का उपभोग साल दर साल ७६ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है|इसमें ५५ प्रतिशत डेटा अल्प अवधि की वीडियो देखने में खर्च किया जा रहा है| अगर यह इस्तेमाल समाज में विकृति लाए, तो यह चिंता का विषय है.
सांख्यिकी वेबसाइट स्टेटिस्टा के अनुसार वर्ष २०२० में भारत में लगभग ७० करोड़ इंटरनेट यूजर्स थे. अनुमान है कि २०२५ तक यह संख्या ९० करोड़ तक जा पहुंचेगी| इसमें शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों के इंटरनेट यूजर्स की संख्या में भारी वृद्धि होगी| भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट का बाजार है | दिलचस्प तथ्य यह है कि ज्यादातर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल मोबाइल के माध्यम से करते हैं. इंटरनेट यूजर्स की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद एक बड़ी खामी यह है कि ग्रामीण और शहरों इलाकों में इस्तेमाल करने वालों के बीच संख्या का बड़ा अंतर है|
नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार केवल २३.८ प्रतिशत भारतीय घरों में ही इंटरनेट की सुविधा है| इसमें ग्रामीण इलाके बहुत पीछे हैं. शहरी घरों में यह उपलब्धता ४२ प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण घरों में यह १४.९ ही है. केवल आठ प्रतिशत घर ऐसे हैं, जहां कंप्यूटर और इंटरनेट दोनों की सुविधाएं है| देश में मोबाइल की उपलब्धता ७८ प्रतिशत आंकी गयी है, पर इसमें भी शहरी और ग्रामीण इलाकों में भारी अंतर है| ग्रामीण क्षेत्रों में ५७ प्रतिशत लोगों के पास ही मोबाइल है|
तकनीक को लेकर तो मीडिया के क्षेत्र में भी खूब प्रयोग हुए हैं. वोइस से टेक्स्ट जैसे कई साॅफ्टवेयर भी विकसित कर लिये गये हैं| लोग अखबार तो पढ़ ही रहे हैं, साथ ही वे वेबसाइट और अन्य नये माध्यमों के जरिये भी खबरें प्राप्त कर रहे हैं| इस दौरान एक दिलचस्प तथ्य भी सामने आया कि यूरोप में मोबाइल इस्तेमाल करने वाले औसतन दिन में २६१७  बार अपने फोन स्क्रीन को छूते हैं|
कोरोना काल में निश्चित रूप से इस औसत में और वृद्ध हुई है | भारत भी इस मामले में बहुत पीछे नहीं होगा. आज लगभग ७० करोड़ भारतीय इंटरनेट यूजर्स हैं| तकनीक ने हमें भी दुनिया से इतना जोड़ दिया है कि अब हम भी इन बदलावों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं| पोर्न फिल्मों से लेकर टूल किट कांड तकनीक के दुरूपयोग हो सकते हैं | हमे बचना होगा, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

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