- अभिमत

सीमा विवाद : सोता केंद्र और जूझते राज्य

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सीमा विवाद : सोता केंद्र और जूझते राज्य
देश की एक बड़ी पार्टी जिसकी केंद्र में सरकार हो उसकी दो राज्यों में सरकार हो और दोनों राज्यों की पुलिस एक दुसरे के खिलाफ लामबंद हो तो सहज सवाल है क्यों ?दूसरे  शब्दों में असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद क्यों है? असम के तीन जिले मिजोरम से करीब १६५ किलोमीटर सीमा साझा करते हैं. असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांडी जिलों से मिजोरम (Mizoram) की सीमा लगती है| वर्ष  १९८७  में मिजोरम एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और तब से ही मिजोरम का असम के साथ सीमा विवाद जारी है|
पहले असम (Assam) के कछार जिले में जिस इलाके को लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था उसे ही बाद में मिजोरम का दर्जा दिया गया था| लुशाई हिल्स और मणिपुर का सीमांकन १९३३  की अधिसूचना के आधार पर किया गया था. वहीं मिजोरम का ऐसा मानना है कि ये सीमांकन१८७५ की अधिसूचना पर आधारित होना चाहिए. मिजोरम के नेता १९३३ की अधिसूचना को स्वीकार नहीं करते हैं| मिजोरम के नेता मानते हैं इसमें मिजोरम के समाज से सलाह नहीं ली गई थी| वहीं, असम सरकार १९३३  के सीमांकन को स्वीकार करती है. और यह इस विवाद की सबसे बड़ी वजह बनी हुई है|भारत के उत्तर-पूर्व में आठ राज्य शामिल हैं, असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम। यह क्षेत्र एक छोटे से गलियारे द्वारा भारतीय मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है तथा भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र सीमा विवाद संघर्षों के लिए जाना जाता है।

इस कारण भारत में क्षेत्रवाद का उदय भी हुआ हैं |जिसके कुछ कारक हैं -जैसे भाषायह लोगों को एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण कारक है और भावनात्मक जुड़ाव विकसित होता है, परिणामस्वरूप, भाषाई राज्यों की मांग शुरू हो गई। यद्यपि, भाषाई राज्यों की मांग की तीव्रता अब कम हो गई है, फिर भी भाषा के हित में क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ रहे हैं। इसलिए, भारत की राष्ट्रीय भाषा के निर्धारण की समस्या लंबे समय से एक मुद्दा रही है।धर्म-यह क्षेत्रवाद के प्रमुख कारकों में से एक है। उदाहरण के लिए: जम्मू और कश्मीर में तीन स्वायत्त राज्यों की मांग धर्म पर आधारित है। उनकी माँगों के आधार हैं- मुस्लिम बहुल कश्मीर, हिंदू प्रभुत्व के लिए जम्मू और बौद्ध बहुल क्षेत्र लद्दाख को स्वायत्त राज्य के रूप में बनाने की मांग।क्षेत्रीय संस्कृति-भारतीय संदर्भ में ऐतिहासिक या क्षेत्रीय संस्कृति को क्षेत्रवाद का प्रमुख घटक माना जाता है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक घटक क्षेत्रीयता की व्याख्या सांस्कृतिक विरासत, लोककथाओं, मिथकों, प्रतीकवाद और ऐतिहासिक परंपराओं के माध्यम से करते हैं। उत्तर-पूर्व के राज्यों को सांस्कृतिक पहलू के आधार पर बनाया गया था।आर्थिकपिछड़ापन-यह भारत में क्षेत्रवाद के प्रमुख कारकों में से एक है क्योंकि सामाजिक आर्थिक विकास के असमान पैटर्न ने क्षेत्रीय विषमताएं पैदा की हैं। सामाजिक आर्थिक संकेतकों के आधार पर राज्यों के वर्गीकरण और उप-वर्गीकरण ने केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी पैदा की है।इनसे ही क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का उदय हुआ |
होना तो यह चाहिए कि हर संघीय राज्य को उचित मांगों को स्वीकार करना चाहिए और अनुचित मांगों को अस्वीकार करना चाहिए। अब सवाल ये है कि देश के भीतर ही दो राज्यों के बीच ये सीमा विवाद धीरे धीरे इतना बढ़ता रहा और इसको सुलझाने की कोशिश उस तरह से नहीं हुई जैसे होनी चाहिए थी |वर्ष १९५०  में असम को राज्य का दर्जा मिला,इसके बाद असम की सीमा से सटे कई राज्य अस्तित्व में आये ।| जिनमें अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिज़ोरम और मेघालय जैसे राज्य है, और ये सब सीमा विवाद से जूझ रहे हैं|

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail

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