- प्रदेश

सप्ताह में दो दिन ग्राम पंचायत मुख्यालय में बैठेंगे पटवारी

राजस्व एवं परिवहन मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत ने आज  मंत्रालय में वचन-पत्र की विभागीय समीक्षा बैठक में कहा कि पटवारी सप्ताह में दो दिन ग्राम पंचायत मुख्यालय में अनिवार्य रूप से बैठेंगे। अनुपस्थित पाये जाने वाले पटवारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। पटवारी के बैठने का दिन कलेक्टर स्वयं निर्धारित करेंगे। उन्होंने कहा कि भूमि संबंधित लंबित मामलों में लीज का उपयोग शर्त के अनुरूप नहीं होने पर भूमि वापस लेकर अन्य उपयोगी कार्यों के लिये लीज पर दी जाएगी।

श्री राजपूत ने कहा कि प्राकृतिक आपदा और अग्नि दुर्घटना आदि की स्थिति में फसल के मुआवजे स्वरूप लोक सेवा प्रदाय की गारंटी अधिनियम के तहत राहत वितरण एवं उत्तरदायित्व का निर्धारण किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 के पूर्व वितरित कृषि भूमि के पट्टे की जमीन 10 साल बाद कलेक्टर की अनुमति के बाद ही हस्तांतरण की व्यवस्था पूर्ववत जारी रहेगी। मजरे-टोलों को राजस्व ग्राम घोषित करने पर उस ग्राम को अपना स्वयं का नाम मिलेगा। श्री राजपूत ने कहा कि प्रदेश में प्रथम राजस्व लोक अदालत 16 फरवरी 2019 को आयोजित की गई थी। समय-समय पर यह लोक अदालतें आयोजित की जाती रहेंगी। उन्होंने बताया कि डायवर्सन की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाने के उद्देश्य से भू-राजस्व संहिता में संशोधन किया गया है। भू-स्वामी ऑनलाईन पोर्टल पर अपना टैक्स प्रीमियम सीधे जमा कर सकेंगे।

राजस्व मंत्री ने बताया कि गो-चर भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिये कलेक्टरों को निर्देशित किया गया है। अनुसूचित क्षेत्रों में अजजा वर्गों के भू-स्वामी की भूमि गैर अजजा वर्ग के व्यक्तियों को हस्तांतरित नहीं की जा सकती। गैर अनुसूचित क्षेत्रों में विक्रय के लिये कलेक्टर की अनुमति आवश्यक होगी। राजस्व ग्राम की सीमाओं को स्थायी रूप से चिन्हित करने एवं बंदोबस्त की अधूरी व्यवस्था को पूर्ण करने के लिये कोर्स आधारित पायलट प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने, सीमा विवाद एवं छोटे-बड़े झाड़ के जंगल को वन की परिभाषा से अलग करने के लिये वे वन मंत्री के साथ चर्चा करेंगे। ग्राम कोटवारों की समस्याओं, उनके वेतन भत्ते में वृद्धि आदि मुद्दों पर शीघ्र ही बैठक कर निर्णय लिया जायेगा। सीलिंग की अतिशेष भूमि को गौ-अभयारण्य की स्थापना एवं वृक्षारोपण के लिये शासकीय एवं स्थानीय संस्थाओं को दी जा सकेगी।

बैठक में कृषि भूमि के पंजीयन के लिये टाइटलिंग प्रणाली को लागू करने पर भी चर्चा हुई। इसके अनुसार भूमि के पंजीयन, रकबा, खसरा, मालिकाना-हक के पंजीकृत होने से भूमि के पंजीयन पर कोई अविश्वसनीयता अथवा संदेह नहीं रहेगा। बताया गया कि शहरों एवं ग्रामों में चक आबादी में बसे लोगों को स्थायी पट्टा देने के लिये पुन: दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव राजस्व श्री मनीष रस्तोगी, श्री एम. सेलवेन्द्रन, श्री ज्ञानेश्वर पाटिल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *