संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार के अगले पांच साल का प्लान रखा. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें अभिभाषण के दौरान वह मोबाइल देखते हुए नजर आ रहे हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के एक घंटे से थोड़े लंबे अभिभाषण के दौरान पहले 24 मिनट राहुल गांधी अपने मोबाइल में व्यस्त रहे.
24 मिनट मोबाइल पर स्क्रोल और कुछ टाइप करने के बाद फिर अगले 20 मिनट वह बगल में बैठीं सोनिया गांधी से कुछ बातचीत करते रहे. इस दौरान राष्ट्रपति का अभिभाषण चल रहा था. राहुल गांधी ने एक बार भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान मेज नहीं थपथपाई. सिर्फ आखिर में एक सेकेंड के लिए मेज को छुआ. मगर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने लगभग 6 बार मेज थपथपाई. 17वीं लोकसभा में अधिक महिला सांसदों के चुने जाने और मसूद अजहर के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने पर भी सोनिया ने मेज थपथपाई. लेकिन राहुल अपना मोबाइल देखते रहे.
Congress President @RahulGandhi caught engrossed on his mobile while President Kovind’s speech is underway. Does he have any respect for anyone at all? pic.twitter.com/FsvmqgDnpD
— Know The Nation (@knowthenation) June 20, 2019
सबसे ज्यादा लंबे समय तक सांसदों ने तब मेज थपथपाई, जब राष्ट्रपति ने उरी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र किया. इस दौरान सोनिया ने भी मेज थपथपाई पर राहुल गांधी नीचे देखते हुए शांत बैठे रहे. कई बार सोनिया ने उनकी तरफ मुड़कर देखा मगर वह जस के तस बैठे रहे. राहुल का ध्यान 11:40 बजे के बाद तस्वीरें खींचने में ज्यादा था. बीच में सोनिया और राहुल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र की तरफ देखकर कुछ चर्चा करते रहे.
फिर राहुल गांधी मंच की तस्वीरें खींचकर सोनिया को दिखाने में ज्यादा व्यस्त नजर आए. भाषण खत्म हुआ तो राहुल चलने लगे. तब सोनिया ने उनको इशारा किया कि राष्ट्रपति अभिनंदन करने के लिए आ रहे हैं. जब राष्ट्रपति राहुल गांधी के पास पहुंचे तो उन्होंने खुद नमस्कार करके हाथ आगे बढ़ाया, जिसके बाद राहुल ने महामहिम से हाथ मिलाया.
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में सरकार की सफलताएं गिनाईं और मोदी सरकार के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के नारे पर अमल करने की प्रतिबद्धता का जिक्र किया. ऐसे ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान जब पूरे देश की नजरें अग्रिम पंक्ति पर बैठे नेताओं पर हैं तो सवाल यही है कि आखिर राहुल गांधी का ध्यान किधर है. राहुल गांधी का इस तरह का व्यवहार या तो उनकी सियासी अपरिपक्वता को दिखाता है या तो वह खुद अपनी भूमिका को लेकर गंभीर नहीं हैं.