आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू को बड़ा झटका लगा है. उनकी पार्टी से चार राज्यसभा सांसदों ने टीडीपी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. जो टीडीपी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं, उनमें राज्यसभा सांसद सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी शामिल हैं.
इन चारों सांसदों ने राज्यसभा में टीडीपी के भारतीय जनता पार्टी में विलय का प्रस्ताव पास किया और इसकी जानकारी राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को दी. राज्यसभा में टीडीपी के कुल 6 सांसद थे, लेकिन अब सिर्फ दो ही बचे हैं. बीजेपी में शामिल होने वाले टीडीपी के इन सांसदों पर दलबदल कानून नहीं लागू होगा. इसकी वजह यह है कि दलबदल कानून किसी सदन में एक पार्टी के दो तिहाई सदस्यों को अपनी पार्टी का दूसरी पार्टी में विलय करने का अधिकार देता है. लिहाजा ये चारों राज्यसभा के सदस्य बने रहेंगे.
TDP MPs of Rajya Sabha- YS Chowdary, CM Ramesh, TG Venkatesh, join BJP in presence of BJP Working President JP Nadda. TDP Rajya Sabha MP GM Rao to formally join later as he is unwell. pic.twitter.com/IU6ximVYtd
— ANI (@ANI) June 20, 2019
टीडीपी के इन सांसदों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की. बीजेपी के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इनको पार्टी में शामिल कराया. टीडीपी के इन चार राज्यसभा सांसद बीजेपी में उस समय शामिल हुए हैं, जब टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू अपने परिवार के साथ विदेश में छुट्टियां मना रहे हैं.
वहीं, टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, ‘हमने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने और राज्य के हित के लिए बीजेपी से लड़ाई लड़ी. हमने सूबे को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री पद तक को छोड़ दिया. हम टीडीपी को कमजोर करने की बीजेपी की कोशिश की निंदा करते हैं. टीडीपी में संकट कोई नया नहीं है. पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है.
बीजेपी के पास मौजूदा आंध्र प्रदेश में विधानसभा में कोई भी विधायक नहीं है, जबकि पिछली विधानसभा में भाजपा को पांच सीटें मिली थी. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का टीडीपी के साथ गठबंधन था. जबकि इस बार हुए चुनाव में टीडीपी ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था. ऐसे में चंद्रबाबू नायडू के विदेश दौरे से लौटने के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति में बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है.