विदिशा : मुंह पर मास्क, हाथों में दस्ताने, कीचड़ से भरा तसला उठाए नजर आने वाले ये शख्स हैं 2009 बैच के आईएएस अफसर कौशलेंद्र विक्रम सिंह। पिछले एक सप्ताह से विदिशा शहर के अलग-अलग इलाकों में सुबह-सुबह इन्हें इसी तरह देखा जा रहा है। नालियों की सफाई करते कलेक्टर को देखकर न केवल जनता हैरान रह गई, बल्कि सफाई व्यवस्था की अब तक घोर उपेक्षा करती आ रही सरकारी मशीनरी भी हरकत में आ गई है। कलेक्टर को देख एसडीएम लोकेंद्र सिंह, नगर पालिका सीएमओ सुधीर कुमार सिंह, तहसीलदार आशुतोष शर्मा भी खुद सफाई करने नालियों में उतर पड़े। जनता भी पीछे नहीं रही। शहर की साफ-सफाई के हर काम में खुलकर भागीदार बन रही है।
भयंकर गंदगी से जूझ रहे विदिशा के नाले, नालियां हफ्तेभर पहले तक कीचड़ और गाद से बजबजा रहे थे। जगह-जगह चोक नालियों का पानी सड़कों पर फैला था। बेतवा नदी की हालत किसी से यहां छिपी नहीं है। ऐसे में कलेक्टर ने बारिश से पहले खुद ही शहर की सूरत साफ करने की ठानी। नगर पालिका के साथ बैठक की। 30 जून तक का टारगेट तय किया और गंदगी में रहने की आदत डाल चुके इस शहर को नींद से जगाने फावड़ा तसला लेकर निकल पड़े।
लक्ष्य – शहर का फेस साफ करना : इंफ्रास्ट्रक्चर और सफाई से ही शहर का फेस बनता है। अभी विदिशा का चेहरा मैला है, जिसे उजला बनाना है। 2019 के सर्वे में विदिशा की स्वच्छता रैकिंग 173 थी, 2020 के सर्वे में इसे टॉप-50 में लाना लक्ष्य है।
सक्सेज मंत्र – कम्युनिटी पार्टिसिपेशन : “जो काम समाज के लिए करना है उसे समाज को साथ लेकर ही अच्छे से किया जा सकता है। कम्युनिटी पार्टिसिपेशन ही सबसे बेहतर प्रशासनिक मॉडल है। नीमच में पीएम आवास योजना को कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के बजाए सोशल प्रोजेक्ट समझकर काम किया। 150 महिला स्वसहायता समूहों को काम में लगाया। उन्हीं के योगदान से देशभर में सबसे अच्छे पीएम आवास बन सके।