प्रतिदिन
“पानी” सरकार से बड़ी नागरिक भूमिका
भारत समेत दुनिया के विभिन्न हिस्से पानी की कमी से जूझ रहे हैं, कारण जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी, भूजल का लगातार दोहन तथा वर्षा जल के बेकार बह जाना है | हमारे देश में ६५ प्रतिशत से ज्यादा जरूरत भूजल से पूरी होती है| बारिश के बरसते पानी में से २५ प्रतिशत से कुछ अधिक पानी ही इस्तेमाल हो पाता है, शेष इधर-उधर अर्थात अपव्यय हो जाता है |
भारत की समस्या यही नहीं रूकती देश में जलाशयों की भंडारण क्षमता भी पर्याप्त नहीं है| आबादी और औद्योगिक विकास के कारण पानी की मांग भी निरंतर बढ़ती जा रही है| वर्ष १९५० में जहां प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता ५१ सौ घन मीटर थी, अब यह मात्र १४ सौ घन मीटर रह गयी है| इस चुनौती का सामना करने के लिए केंद्र सरकार जल का संरक्षण, समुचित प्रबंधन और वितरण को लेकर कुछ कर रही है | कार्य बड़ा और चुनौती पूर्ण है, और अकेला सरकार के बस का भी नहीं है |
इस संबंध में सरकार अपनी प्रतिबद्धता को अलग- अलग तरह से रेखांकित करती रहती हैं| एक तरफ उसका लक्ष्य हर परिवार तक पेयजल पहुंचाने का है, तो दूसरी तरफ स्रोतों के लिए संरक्षण व शोधन पर उसका ध्यान होना चाहिए है, इसमें कुछ कमी अभी से नजर आ रही है | जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत खुद मानते है कि यह काम दो दशक पहले शुरू हो जाना चाहिए था| अभी भी खेती में ८९ प्रतिशत और उद्योगों में ११ प्रतिशत पानी का इस्तेमाल होता है| जो वैश्विक तुलना में अधिक है |
जहाँ चीन ३५० लीटर पानी में एक किलो चावल का उत्पादन करता है, वहीहमारे देश में यह आंकड़ा ५६ सौ लीटर का है| नालियों में हर साल १४० अरब लीटर गंदा पानी बह जाता है| घटते वनों की समस्या भी इससे जुड़ी हुई है| इन सभी आयामों पर समेकित रूप से काम करने के लिए योजनाएं बननी चाहिए | इस कार्यक्रम में वे सारे लोग स्वत: जुड़े जो पानी का उचित उपयोग करने तथा बचाने के साथ स्वच्छ पेयजल पर ध्यान देने को अनिवार्य कर्तव्य मानते हैं | हमारे देश भारत में दूषित जल से होनेवाली बीमारियों से सालाना सात करोड़ से अधिक कार्यदिवस बर्बाद हो जाते है|पिछले साल खराब पानी के कारण हर रोज औसतन सात मौतें हुई हैं |साफ पानी मुहैया कर पांच साल की उम्र से पहले मौत का शिकार होनेवाले ६० प्रतिशतबच्चों को बचाया जा सकता है| आज भी भारत में १६ करोड़ से अधिक लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है|
पानी की किल्लत का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि हमारे देश में दुनिया की १६ प्रतिशतआबादी रहती है, परंतु जल संसाधनों का सिर्फ ४ प्रतिशत ही हमारे हिस्से में है| जल शक्ति मंत्रालय की कोशिशों और राज्य सरकारों के सहयोग से २०२४ तक सभी के लिए जल सुरक्षा उपलब्ध कराने के महत्वाकांक्षी बात कही जा रही है | इसकी सफलता में हम सबको लगना होगा अकेले सरकार के बूते की यह बात नहीं है |
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन योजनाओं से पांच सालों में छह लाख करोड़ से अधिक निवेश की आशा भी है,जिससे रोजगार पैदा करने और जीवन-स्तर को बेहतर बनाने में बड़ी मदद मिलेगी, पर “हर घर जल ” तो नागरिक जुडाव के बगैर असम्भव है | सरकारी योजना ‘नल से जल’ और समाजिक आव्हान “हर घर जल”जैसे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नागरिकों को ही उत्तरदायित्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी|