भोपाल: भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दो विधायकोें के पाला बदलने से प्रदेश संगठन से खासा नाराज है। गुरुवार को डैमेज कंट्रोल के लिए दिल्ली से लेकर भोपाल तक बैठकों का दौर चलता रहा। बुधवार रात से गुरुवार दाेपहर तक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, संगठन महामंत्री सुहास भगत, भूपेंद्र सिंह आदि के साथ बैठकें चलीं। इसके बाद शिवराज दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को घटनाक्रम की रिपोर्ट सौंपी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक शाह इस बात से बेहद नाराज हैं कि प्रदेश संगठन दो विधायकों को रोकने में कैसे फेल हो गया, जबकि भार्गव, शिवराज समेत कई नेताओं को मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी विधायक शरद कौल के कांग्रेस नेताओं के संपर्क में होने की जानकारी थी। त्रिपाठी से भार्गव ने चार दिन पहले ही बात की थी। इसके बाद से ही त्रिपाठी ने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिए थे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह ने केंद्रीय संगठन को बताया है कि दोनों मूल रूप से कांग्रेसी हैं।
पहले शिवराज, फिर राकेश पहुंचे संघ कार्यालय
पूरे घटनाक्रम के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते भी सक्रिय हो गए हैं। पहले शिवराज से रिपोर्ट ली गई, इसके बाद राकेश सिंह दोपहर समिधा कार्यालय गए। दोनों नेताओं ने विस्पुते से कहा है कि वे मप्र का पक्ष शीर्ष नेताओं तक पहुंचाएं।
दोनों बागी और बाकी विधायकों से शिवराज-राकेश करेंगे बात
बैठकों में तय हुआ कि दस संभाग के भाजपा विधायकों की किलेबंदी की जाए। बड़े नेताओं को इसका जिम्मा दिया गया। इसमें नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, पारस जैन, अरविंद भदौरिया, अजय विश्नोई समेत अन्य शामिल हैं। राकेश और शिवराज इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। नारायण त्रिपाठी और शरद कौल से भी यही दोनों बात करेंगे। पार्टी जल्द ही तमाम अपने विधायकों की बैठक बुलाकर बात करेगी। प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि पार्टी दोनों विधायकों से बात करेगी, लेकिन कांग्रेस ने जो किया है, वह दलाली की श्रेणी में आता है।
कांग्रेस से जुड़े कंप्यूटर बाबा और पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कुछ और भाजपा विधायकों के संपर्क में होने की बात कही। मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि जो भी विधायक भाजपा में घुटन महसूस कर रहे हैं, वे कांग्रेस में आ जाएं। दरवाजा खुला है।
भाजपा की बैठकों में नेताओं ने बजट सत्र के दौरान व्हिप जारी नहीं होने पर सवाल उठाए। दिल्ली में भी पार्टी नेतृत्व ने पूछा कि जब मप्र में सीटों की स्थिति और सियासी समीकरण अलग हैं तो पूरे सत्र के लिए और मत विभाजन की संभावनाओं को देखते हुए व्हिप जारी क्यों नहीं किया गया। गोपाल भार्गव और राकेश सिंह से चर्चा के बाद भी मुख्य सचेतक नरोत्तम मिश्रा की तरफ से कोई व्हिप जारी नहीं किया गया। यही वजह थी कि सदन में भाजपा का फ्लोर मैनेजमेंट पूरी तरह फेल नजर आया।