पेरिस: रविवार को पूरी दुनिया ने प्रथम विश्व युद्ध के समापन की 100वीं बरसी मनाई। इस मौके पर पेरिस में आयोजित कार्यक्रम में जर्मनी, रूस और अमेरिका समेत 70 देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी इसमें शामिल हुए। अमेरिका और यूरोप में चल रही तनातनी के बीच कार्यक्रम की मेजबानी कर रहे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दुनियाभर में उभरते राष्ट्रवाद पर चिंता जताई।
आधुनिक मानव इतिहास के सबसे बड़े कत्लेआम में शुमार किए जाने वाले प्रथम विश्व युद्ध (1914 से 1918) में करीब दो करोड़ लोग मारे गए थे। कुछ इतिहासकार पांच करोड़ लोगों के मारे जाने का दावा भी करते हैं। युद्ध में अविभाजित भारत (भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश) से 11 लाख लोगों ने भाग लिया था। इसमें 50 हजार से ज्यादा भारतीय मारे गए थे और इतने ही घायल हो गए थे।
कार्यक्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के व्लादिमीर पुतिन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की उपस्थिति अहम रही।
राष्ट्रमंडल देशों के नेताओं ने भी इस मौके पर शांति का संदेश दिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “यह ऐसा युद्ध था, जिसमें भारत ने प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा नहीं लिया था लेकिन केवल शांति के लक्ष्य के साथ हमारे सैनिक इसमें शामिल हुए।”
फ्रांस में तीन दिन के दौरे पर पहुंचे भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उत्तरी फ्रांस में एक युद्ध स्मारक का उद्घाटन भी किया। युद्ध में मारे गए भारतीय सैनिकों के सम्मान में यह फ्रांस में भारत द्वारा बनाया गया पहला युद्ध स्मारक है।