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चंद्रयान-2 : दुनिया के विकसित देश स्पेस में भटक चुके हैं भारत ने चुना सबसे मुश्किल मिशन

चंद्रयान-2 का सफर आखिरी और बेहद चुनौतीपूर्ण हिस्से तक पहुंच चुका था लेकिन ये इंतजार लंबा खिंचने लगा और इसरो की तरफ से औपचारिक ऐलान कर दिया गया कि लैंडर विक्रम से सेंटर का संपर्क टूट चुका है. चंद्रयान-2 के इस मिशन पर दुनिया भर की नजरें टिकी थीं और उसकी वजह ये थी कि भारत के वैज्ञानिकों ने चांद के सबसे मुश्किल हिस्से पर पहुंचने को अपना लक्ष्य बनाया था. मिशन के मुताबिक चंद्रयान- 2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था. चांद के इस हिस्से पर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती है. इस वजह से लैंडर और रोवर के लिए सौर ऊर्जा हासिल कर पाना मुश्किल होगा.

चांद के इस हिस्से पर अभी तक दुनिया के किसी देश की पहुंच नहीं हो पाई है, इसलिए वैज्ञानिकों को यहां की सतह की जानकारी नहीं थी. अमेरिका के अपोलो मिशन सहित ज्यादातर मिशनों में लैंडिंग चांद के मध्य में की गई और चीन का मिशन चांद के उत्तरी ध्रुव की तरफ था. चांद की पथरीली जमीन भी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए बड़ी चुनौती थी, लैंडर विक्रम को दो क्रेटरों के बीच सॉफ्ट लैंडिंग की जगह तलाशनी थी.

भले ही चांद पर मानव के पहुंचने के 50 साल हो गए हों लेकिन तमाम विकसित देशों के लिए भी चांद को छूना आसान नहीं रहा है. रूस ने 1958 से 1976 के बीच करीब 33 मिशन चांद की तरफ रवाना किए, इनमें से 26 अपनी मंजिल नहीं पा सके. वहीं अमेरिका भी इस होड़ में पीछे नहीं था. 1958 से 1972 तक अमेरिका के 31 मिशनों में से 17 नाकाम रहे.

यही नहीं अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच 6 मानव मिशन भी भेजे. इन मिशनों में 24 अंतरिक्ष यात्री चांद के करीब पहुंच गए लेकिन सिर्फ 12 ही चांद की जमीन पर उतर पाए. इसके अलावा इसी साल अप्रैल में इजरायल का भी मिशन चांद अधूरा रह गया था. इजरायल की एक प्राइवेट कंपनी का ये मिशन 4 अप्रैल को चंद्रमा की कक्षा में तो आ गया लेकिन 10 किलोमीटर दूर रहते ही पृथ्वी से इसका संपर्क टूट गया.
बेशक भारत के वैज्ञानिकों ने चांद के अनजाने हिस्से तक पहुंचने, कई महत्वपूर्ण जानकारियों की जुटाने की बड़ी चुनौती की तरफ अपने कदम बढ़ाए थे. चंद्रयान-2 को मंजिल के करीब ले जाने वाला ऑर्बिटर अब भी चंद्रमा की कक्षा में घूम रहा है. अब वैज्ञानिकों को इंतजार है कि आंकड़ों से निकलने वाले नतीजों का और ऑर्बिटर से मिलने वाली तस्वीरों का. जिससे आखिरी 15 मिनट का वैज्ञानिक विश्लेषण मुमकिन हो सके.

लैंडर विक्रम के साथ संपर्क टूटने की वजहों का अध्ययन विश्लेषण किया जाएगा. जिन चुनौतियों की वजह से इस मिशन को अब तक का सबसे कठिन मिशन माना जा रहा था. उससे निपटने के नए तरीके भी ढूंढे जाएंगे. इस लिहाज से चंद्रयान-2 का अभियान इस बेहद मुश्किल लक्ष्य की तरफ बढ़ने के लिए वैज्ञानिकों के अनुभव को और समृद्ध करने वाला साबित होगा.

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