भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (NLIU) में गड़बड़ियों के रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अबकी बार फेल छात्रों को भी लॉ की डिग्री देने का मामला सामने आया है।
नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (एनएलआईयू) में सामने आए बीए-एलएलबी (ऑनर्स) डिग्री फर्जीवाड़े का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसके कारण अब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पहले एक के बाद एक चार लिस्ट जारी कर गड़बड़ी से जुड़े 104 छात्रों के नाम सार्वजनिक किए थे।
इसमें रसूखदार परिवारों से जुड़े छात्रों के अलावा मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में पदस्थ आईपीएस व आईएएस अफसरों के बच्चों के नाम भी सार्वजनिक हो गए। सूत्रों के अनुसार छात्र व उनके अभिभावक उनके नाम सार्वजनिक करने पर लगातार आपत्ति दर्ज करा रहे थे। वे प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दे रहे थे। उनका पक्ष सुने बिना यह कार्रवाई की गई। इसके चलते यूनिवर्सिटी ने चारों लिस्ट वेबसाइट से हटा ली हैं। जबकि सोमवार को इन छात्रों की सुनवाई का पहला दिन था।
पहली लिस्ट 26 अक्टूबर को जारी कर 30 छात्रों के नाम उजागर किए गए थे। इसके बाद दो नवंबर को तीन लिस्ट में 74 छात्रों के नाम वेबसाइट पर सार्वजनिक कर इन्हें पक्ष रखने को कहा गया था। इसलिए इन्हें अलग-अलग तारीखों में बुलाया गया है। लेकिन, इससे पहले से ही छात्र लगातार आपत्ति दर्ज करा रहे थे।
अब यूनिवर्सिटी ने सोमवार शाम को वेबसाइट से लिस्ट हटा दी हैं। ये ऐसे छात्र हैं जिनके रिकॉर्ड में यूनिवर्सिटी ने जांच के दौरान गड़बड़ी पाई है। यूनिवर्सिटी इनसे संपर्क नहीं कर पा रही थी। इसलिए इनके नाम वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिए थे। ताकि इन्हें भी अंतिम निर्णय लेने से पहले पक्ष रखने का मौका मिल सके।
यूनिवर्सिटी के इस सिस्टम को कैसे सुधारा जा सकता है। इन सब बातों को लेकर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अभय गोहिल द्वारा जांच की जा रही है। इसके चलते जस्टिस गोहिल द्वारा भी छात्रों से पूछताछ की जा रही है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट लिखनी शुरू कर दी है। वे जल्द ही रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके बाद यह रिपोर्ट जनरल काउंसिल की बैठकर में रखी जाएगी।
इससे पहले दी गई रिपोर्ट के आधार पर असिस्टेंट रजिस्ट्रार रंजीत सिंह को बर्खास्त किया जा चुका है। वहीं, दूसरी ओर वेबसाइट www.nliu.ac.in से छात्रों की सूची बिना किसी सूचना के हटा दी गई। इस संबंध में रजिस्ट्रार गिरिबाला सिंह से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई। लेकिन, उन्होंने इसका जवाब देना जरूरी नहीं समझा।
NLIU: फेल छात्रों को दी लॉ की डिग्री, दो की जज के पद पर हो गई पोस्टिंग
दरअसल, प्रारंभिक जांच में पिछले 4 बैच के ऐसे 15 छात्रों के नाम सामने आए हैं, इसमें दो ऐसे नाम भी मिले जो बीए, एलएलबी की इसी गलत डिग्री का उपयोग कर जज की नौकरी भी पा गए।
इतना ही नहीं चयनित जजों में से एक भानु पंडवार की पोस्टिंग तो छिंदवाड़ा में हो भी चुकी है, वहीं इसी वर्ष सिविल जज-2 के पद पर चयनित अमन सूलिया की पोस्टिंग होनी बाकी है।
एनएलआईयू में परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की प्रारंभिक जांच में 2015 के 5,सन 2014 के 1 छात्र, सन 2014 के तीन और 2013 के एक छात्र को गलत ढंग से डिग्री देना पाया गया है। कमेटी की रिपोर्ट के बाद रिजल्ट तैयार करने का जिम्मा देख रहे असिस्टेंट रजिस्ट्रार (परीक्षा) रंजीत सिंह को निलंबित कर दिया गया।
गलत ढंग से डिग्री देने का खुलासा खुद विश्वविद्यालय की आंतरिक कमेटी की जांच रिपोर्ट में सामने आया. प्रो. घयूर आलम, प्रो. यूपी सिंह और लाइब्रेरियन छत्रपाल सिंह की तीन सदस्यीय कमेटी ने पाया कि पिछले चार सत्रों में 15 ऐसे छात्रों को डिग्री दी गई है, जो कई विषयों में फेल थे।
संस्थान में सेमेस्टर के बजाय ट्राइमेस्टर सिस्टम लागू है. ऑटोनॉमस दर्जा होने के चलते, परीक्षा लेने से लेकर रिजल्ट तैयार करने तक का काम यही होता है, डिग्री भी यही देता है। सालों से रिजल्ट टेबल तैयार करने और गोपनीय कार्यों का जिम्मा असिस्टेंट रजिस्ट्रार (एग्जाम) रंजीत सिंह के पास था। जब रिजल्ट की अंतिम टेबल तैयार हो जाती थी तो उसमें औपचारिक तौर पर प्रोफेसर यूपी सिंह के हस्ताक्षर होते थे।
बहरहाल जिन छात्रों को गलत डिग्री दी गई, उनमें से भानु पंडवार और अमन सूलिया शामिल हैं. दोनों को फेल होने के बावजूद डिग्री मिल गई. इसी का उपयोग कर वे जज बने हैं। कुछ डिग्रीधारियों के कई बड़े प्रतिष्ठानों में भी काम करने की खबरें आ रहीं हैं। साल 2014 के पास आउट अमन सूलिया इसी साल जज बने। अभी पोस्टिंग होनी बाकी है। ये पुराने ट्राइमेस्टर के कुछ विषयों में फेल थे।वहीं भानु पंडवार ने 2015 की 14वें ट्राइमेस्टर की रिजल्ट शीट में इंटरप्रिटेशन ऑफ स्टेच्यू और प्रोफेशनल इथिक्स विषय में फेल हैं। सिविल जज की 2016 में हुई परीक्षा में वे चयनित हुईं,फिलहाल छिंदवाड़ा में सिविल जज हैं।