ओस्लो : भारत में जन्मे और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी (58) को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया है। उनके साथ एमआईटी में ही प्रोफेसर अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफ्लो (46) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर माइकल क्रेमर (54) को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है। 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया। अभिजीत से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में यह सम्मान दिया गया था।
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The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
अभिजीत, एस्थर और माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम किए जाने के प्रयासों के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल दिया जाएगा। अभिजीत ब्यूरो ऑफ द रिसर्च इन इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के पूर्व प्रेसिडेंट हैं। वे सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड पॉलिसी रिसर्च के फेलो और अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स-साइंसेज एंड द इकोनॉमिक्स सोसाइटी के फेलो भी रह चुके हैं। अमर्त्य सेन को कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिए नोबेल से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1999 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
कांग्रेस ने ‘न्याय योजना’ के लिए अभिजीत से सलाह ली थी
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादे “न्याय योजना’ के लिए अभिजीत समेत दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों से राय ली थी। इसके तहत तब कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने वादा किया था कि हर गरीब के खाते में साल में 72 हजार रुपए डाले जाएंगे, यानि 6 हजार रुपए/महीना। योजना गरीबों को मिनिमम इनकम की गारंटी देगी। बनर्जी ने कहा था- 2500-3000 रु. प्रति महीना एक अच्छी शुरुआत हो सकती थी। ऐसा कहते वक्त मैं सालाना आर्थिक प्रतिबद्धताओं को भी ध्यान में रख रहा हूं। मेरा नजरिया यह था कि उन्हें (कांग्रेस) धीरे चलना चाहिए था। ऐसा करने से उन्हें वह सालाना आर्थिक स्थान मिल जाता, जिसकी जरूरत है।
अभिजीत विनायक बनर्जी 21 फरवरी 1961 में कलकत्ता में जन्में थे। यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, जेएनयू और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं। उन्होंने 1988 में हार्वर्ड से पीएचडी की थी। अभिजीत की पहली शादी एमआईटी की प्रोफेसर डॉ. अरुंधति बनर्जी से हुई थी। दोनों साथ-साथ कलकत्ता में पले-बढ़े। हालांकि, 1991 में तलाक हो गया।
इकोनॉमिक्स का नोबेल पाने वाली एस्थर दूसरी महिला अर्थशास्त्री
2015 में अभिजीत ने एस्थर डुफ्लो से शादी की। एस्थर इकोनॉमिक्स के नोबेल के लिए चुनी गई सबसे युवा और दूसरी महिला अर्थशास्त्री हैं। अर्थशास्त्र के लिए एलिनोर ऑस्टार्म को 2009 में नोबेल दिया गया था। वे इंडियाना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थीं। उन्हें इकोनॉमिक गवर्नेंस के लिए सम्मानित किया गया था।
एस्थर डुफ्लो ने कहा- एक महिला के लिए कामयाब होना और कामयाबी के लिए पहचान बनाना संभव है। मुझे उम्मीद है कि इससे कई अन्य महिलाएं अच्छा काम जारी रखने के लिए और पुरुष उन्हें उचित सम्मान देने के लिए प्रेरित होंगे।
मध्य प्रदेश के कैलाश सत्यार्थी को मिला था शांति का नोबेल
मध्यप्रदेश में विदिशा के रहने वाले कैलाश सत्यार्थी को 2014 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें पाकिस्तान की बाल अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया था। कैलाश सत्यार्थी बाल अधिकारों के लिए काम करते हैं। 1980 में बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के लिए सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन नाम का एनजीओ भी शुरु किया था। अब तक वे 144 देशों में 83 हजार बच्चों की मदद कर चुके हैं। वे ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (बाल श्रम के खिलाफ वैश्विक मार्च) के अध्यक्ष भी हैं।