- अभिमत

तो खुल गये जन्नत के दरवाजे

प्रतिदिन : 
तो खुल गये जन्नत के दरवाजे

और जम्मू –काश्मीर सरकार ने अपनी वह एडवाइजरी वापस ले ली है, जिसमें देश- दुनिया के पर्यटकों को फिलहाल कश्मीर न जाने की सलाह दी गई थी। संविधान के अनुच्छेद ३७० को हटाने के तुरंत बाद ही यह एडवाइजरी जारी कर दी गई थी। इसके बाद पर्यटक ही नहीं, वहां काम या व्यवसाय कर रहे दूसरे प्रदेशों के लोग, तीर्थयात्री और पढ़ाई करने वाले छात्र भी राज्य से बाहर आ गए थे।
वैसे इस तरह की एडवाइजरी का अर्थ किसी तरह की पाबंदी नहीं होता, इसका अभिप्राय सिर्फ इतना होता है कि यह इलाका फिलहाल यात्रा के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। बाद में आई कई खबरों से यह भी पता चला कि इस दौरान भी कुछ विदेशी पर्यटक गए थे और इनमें से कुछ का दावा था कि भीड़भाड़ न होने के कारण वे इस जन्नत के प्राकृतिक नजारों का लुत्फ ज्यादा अच्छी तरह से ले सके। उनकी सकुशल यात्रा यही बताती है कि घाटी में खतरा उतना नहीं था, जितनी आशंका थी। सरकार की तरफ से जारी एडवाइजरी दरअसल एक सावधानी भर थी, जो ऐसे संवदेनशील मौकों पर जरूरी हो जाती है। यह सावधानी पिछले ६७ दिनों से जारी थी और अब खुद सरकार की समझ में भी आ गया है कि इसकी कोई जरूरत नहीं है, इसलिए इस एडवाइजरी को जाना ही था।
मामला सिर्फ पर्यटकों के लिए जारी एडवाइजरी का ही नहीं है, जम्मू-कश्मीर के हालात कई तरह से पटरी पर आते दिख रहे हैं। जनजीवन पर लागू कई तरह की पाबंदियों को हटाया जा चुका है। पिछले दिनों श्रीनगर की कुछ सड़कों पर हुआ ट्रैफिक जाम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इतना ही नहीं, वहां नजरबंद किए गए कई बडे़ नेताओं को अब तक रिहा किया जा चुका है। अगले कुछ रोज में मुख्यधारा के ज्यादातर नेताओं के रिहा किए जाने की उम्मीद है। चंद रोज बाद ही कश्मीर में ब्लॉक विकास परिषदों के चुनाव होने हैं। इन चुनावों की तैयारियां भी जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। इस बीच सुरक्षा बलों की सतर्कता के चलते वहां से आतंकवादी वारदातों की खबरें भी बहुत कम आ रही हैं। पर इन सभी चीजों के बीच पर्यटन एडवाइजरी का वापस लिया जाना महत्वपूर्ण इसलिए है कि कश्मीर में पर्यटन ही सबसे मुख्य व्यवसाय है। यह बहुत से लोगों के रोजगार का जरिया भी है। पर्यटन को फिर से शुरू किए बिना यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि जम्मू-कश्मीर पटरी पर लौट आएगा।
अभी जो हालात हैं, उनमें यह उम्मीद भी नहीं की जानी चाहिए कि एडवाइजरी के हटते ही दुनिया भर के पर्यटन भारी संख्या में कश्मीर पहुंचने लगेंगे। इससे सिर्फ वह पहली बाधा दूर हो गई है, जो कश्मीर जाने के इच्छुक पर्यटकों को अपने फैसले पर फिर से विचार के लिए बाध्य करती थी। लेकिन देशी-विदेशी पर्यटकों का एक बड़ा तबका है, जो जम्मू-कश्मीर का रुख तब तक नहीं करेगा, जब तक कि वह पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो जाता कि वहां पूरी तरह अमन-चैन है। जाहिर है कि इसमें थोड़ा-सा वक्त लगेगा। लेकिन जो कुछ हो रहा है, उससे यह उम्मीद तो बंधती ही है कि यह वक्त बहुत लंबा नहीं होगा। जम्मू- कश्मीर के हालात सामान्य हों, यह सिर्फ इस प्रदेश के नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए भी बहुत जरूरी है, और सबकी यही प्राथमिकता भी है।

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *