इसरो का चंद्रयान-2 लगातार चांद के बारे में नए-नए खुलासे कर रहा है. चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर भले ही सही लैंडिंग न कर पाया हो लेकिन चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा उसका ऑर्बिटर अब भी हर रोज नई और चौंकाने वाली तस्वीरें सामने ला रहा है. 22 अक्टूबर को भी इसरो ने ऐसी ही दो तस्वीरें जारी की हैं. ये पहली बार है जब इसरो ने चांद की ऐसी रंगीन तस्वीरें आम लोगों के लिए जारी की हैं. इन तस्वीरों में ये पता चल रहा है कि चांद की सतह पर काले दाग क्यों हैं? उसकी सतह पर इतने गड्ढे (Crater) क्यों हैं?
#ISRO#Chandrayaan2’s DF-SAR is designed to produce greater details about the morphology and ejecta materials of impact craters on the lunar surface. Have a look of initial images and observations made by DF-SAR
For more details please visit: https://t.co/1j7SBcXIpl pic.twitter.com/SEHukoYJMV
— ISRO (@isro) October 22, 2019
ये खुलासा चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार (DF-SAR) ने किया है. इस उपकरण ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद सतह का अध्ययन किया है. आप इस उपकरण से ये पता कर सकते हैं कि कहां गड्ढे हैं? कहां पहाड़ हैं? कहां समतल जमीन है? और कहां पत्थर पड़े हैं? इस उपकरण की खासियत ये है कि यह कम से कम चांद की सतह से 2 मीटर ऊंची किसी भी वस्तु की तस्वीर आराम से बनवा सकता है. इसके लिए इस उपकरण से दो प्रकार की किरणें निकलती हैं. उन किरणों के सतह से टकराने और उनके वापस लौटने के आंकड़ों को जुटाकर यह पता किया जाता है कि चांद की सतह पर क्या है?
ISRO ने कैसे पता किया कि चांद के चेहरे पर काले धब्बे ?
DF-SAR से पृथ्वी के इसरो सेंटर्स पर भेजी गई तस्वीरों से पता चलता है कि यह उपकरण चांद की सतह के ऊपर और सतह के नीचे की जानकारी देने में सक्षम हैं. साथ ही DF-SAR यह भी बता सकता है कि चांद की सतह पर कौन सा गड्ढा कब बना है? आखिर चांद की सतह पर बने गड्ढों से चांद के काले धब्बों का क्या लेना-देना है? असल में यही गड्ढे और उनकी परछाइयां ही चांद के चेहरे पर काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं.
चांद की सतह पर अक्सर दर्जनों या उससे ज्यादा की संख्या में उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु टकराते रहते हैं. इनके टकराने की वजह से ही हजारों वर्षों से चांद की सतह पर ऐसे गड्ढे बन रहे हैं. DF-SAR यह भी बता सकता है कि चांद की सतह पर कौन सा गड्ढा कब बना है? जैसे पहली तस्वीर में अगर आप ध्यान से देखें तो आपकों पता चलेगा कि कौन सा गड्ढा नया है और कौन सा पुराना है?
1. नए गड्ढे की पहचान
नए गड्ढे का रंग ज्यादा चमकदार और पीले रंग का दिख रहा है. उसके चारों तरफ ताजी मिट्टी और धूल दिखाई दे रही है. इन गड्ढों के अंदर का रंग चांद की सतह से चमकदार और हल्के रंग का होता है.
2. पुराना गड्ढा गहरे रंग का
चांद की सतह पर जिन गड्ढों का रंग गहरा है. यानी काला, नीला और गहरा हरा है वह पुराना गड्ढा है. इन गड्ढों के अंदर का रंग चांद की सतह से मिलता है.
कितने प्रकार के गड्ढे बने हैं चांद की सतह पर
DF-SAR से मिले आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि चांद की सतह पर उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु टकराने से वर्टिकल (सीधे-गहरे गड्ढे) और ऑबलीक (परोक्ष, टेढ़े गहरे गड्ढे) बनते हैं.
1. वर्टिकल गड्ढे
उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु जब एकदम सीधे जाकर चांद की सतह पर टकराते हैं तब जो गड्ढे बनते हैं उसे वर्टिकल क्रेटर या सीधा-गहरा गड्ढा कहते हैं. चारों तरफ से इनकी गहराई लगभग एक बराबर होती है.
2. ऑबलीक गड्ढे
उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु जब चांद की सतह से सीधे न टकराकर टेढ़े-मेढ़े तरीके से टकराते हैं तब ऑबलीक क्रेटर या परोक्ष, टेढ़े गहरे गड्ढे बनते हैं. इनमें एक तरफ से गड्ढे की गहराई ज्यादा होती है, जबकि एक तरफ हल्का ढलान होता है. ऐसे गड्ढों की गहराई एक समान नहीं होती है.
कितने गड्ढे हैं चांद पर?
चांद की सतह पर कितने गड्ढे हैं, इसका सही आंकड़ा किसी भी देश की अंतरिक्ष एजेंसी या वैज्ञानिकों के पास नहीं हैं. लेकिन एक अनुमान के अनुसार चांद पर 5185 गड्ढे ऐसे हैं जो 19 किमी से ज्यादा चौड़े हैं. 10 लाख गड्ढों की चौड़ाई करीब एक किलोमीटर है. जबकि, करीब 50 लाख गड्ढे ऐसे हैं जिनकी चौड़ाई करीब 10 मीटर या उससे अधिक है.