- अभिमत

“नेताओं” ने “अंग्रेजों” से कुछ नहीं सीखा

प्रतिदिन
“नेताओं” ने “अंग्रेजों” से कुछ नहीं सीखा
भारतीय जनता पार्टी के सांसद जनार्दन मिश्र, कमलनाथ सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट, चर्चा में हैं | जिस नौकरशाही से मारपीट को लेकर ये नेता चर्चा में है | ये मारपीट अब हर राज्य का किस्सा होतो जा रही है | इनका चरम मध्यप्रदेश से शुरू हुआ और अब अन्य राज्यों में भी फ़ैल रहा है | यह चरम हत्या होती है | मध्यप्रदेश में एक युवा आई पी एस अधिकारी की हत्या के बाद देश में इस समय दिल्ली पुलिस की हड़ताल के साथ ही तेलंगाना में एक महिला तहसीलदार की आग लगाकर हत्या करने का मामला गर्म है | नेताओं की असहिष्णुता समाज में नीचे उतर रही है समाज हिंसा की ओर जा रहा है | जिस ब्रिटेन के प्रशासनिक माडल को हमने स्वीकार किया है उससे हमारे नेत्ताओं ने कुछ नहीं सीखा | वहां के मंत्री कुछ मिनिट देरी से आने पर स्वत: इस्तीफा दे देते हैं | यह राजनेता जनता और अफसर को मृत्युतुल्य कष्ट देने से भी नहीं चूकते | कही कहीं अफसर भी उत्तेजना को चरम तक ले जाने से परहेज नहीं करते | दिल्ली में पुलिस की हड़ताल, समाज में सामूहिक रूप से बड रहे और बन रहे असंतोष का परिचय देता है |
मंगलवार दिनभर पुलिसवालों के प्रदर्शन को मीडिया ने प्रमुखता दी दिल्ली के एलजी अनिल बैजल लगातार दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से संपर्क में रहे| एलजी ने सलाह दी कि वरिष्ठ अधिकारियों को घायल पुलिसकर्मियों के यहां दौरा करना चाहिए, ताकि उनका मनोबल बना रहे| शाम ७ बजे के आसपास दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने पुलिसकर्मियों से कहा कि आपकी सभी मांगे मान ली गई हैं| साकेत और तीस हजारी कोर्ट के मामले में भी एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं|जो पुलिसकर्मी यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की जाएगी| यह सब क्या इस बात का परिचायक नहीं है की समाज में एक और शक्तिशाली समूह को सरकार मान्यता दे रही है |
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में बीते२ नवंबर को पुलिस और वकीलों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें २० से ज्यादा वकील और पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. उसके बाद वकीलों ने सोमवार को बंद का ऐलान किया था, जिसमें साकेत कोर्ट के सामने एक पुलिसकर्मी को वकीलों ने पीटा था| वकीलों का समूह सही है या पुलिस का समूह बिना किसी निर्णय के सरकार ने दोनों समूहों की मांगे मान जो संदेश दिया है वो समाज को अच्छी दिशा नहीं देगा |
अब बात मध्यप्रदेश की | रीवा के भाजपा सांसद जनार्दन मिश्र ने किसानों से कर्जा वसूली करने आने वालों के हाथ पैर तोड़ने की धमकी दी है | पूर्व में भी वे एक आई ए एस अधिकारी को जमीन में गाद देने की धमकी दे चुके हैं | इंदौर में मंत्री तुलसी सिलावट के रिश्तेदारों ने सरकारी अधिकारीयों से मारपीट की मंत्री जी इस काण्ड से अपने को उसी तरह अलग बता रहे हैं जैसे भाजपा के एक नेता ने उस समय प्रतिक्रिया दी थी जब उनके विधायक बेटे ने क्रिकेट बेट से एक अफसर को धुन दिया था | नेताओं के ऐसे आचरण का समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है |
भारतीय नेताओं के आचरण में नियमों का उल्लंघन, अनावश्यक दबाव और हरकाम में टालमटोल करने की प्रवृति घर करती जा रही है |जिसका फायदा वे नौकर शाह उठाते हैं, जिनकी प्रवृति में भ्रष्टाचार होता है | ये युति बिगड़ते ही कुछ और होने लगता है जिसका चरम हत्या तक होता है | राजनीति में यदि प्रशिक्षण के पश्चात ही कोई जवाबदारी दी जाये तो इसका कोई हल निकलेगा अन्यथा स्थिति दिन ब दिन बिगडती जाएगी |शासन और राजनीति का वर्तमान माडल हमे ब्रिटेन से मिला है | उस की परम्परा देखिये, संसद में उत्तर देते समय अनुपस्थित मंत्री स्वयं गलती स्वीकार कर इस्तीफा दे देता है | भारत में तो राजनेता अपने गलत कृत्य को दबाव बना कर सही ठहराने से बाज नहीं आते | भारत में मिसाल लाल बहादुर शास्त्री की दी जाती है, पर उनके बाद कोई दूसरी मिसाल नहीं है |

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

 

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