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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश, मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर असमंजस की स्थिति के बीच केंद्रीय मंत्रालय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। महाराष्ट्र में सत्ता का संघर्ष अब राष्ट्रपति शासन की तरफ पहुंचता दिखाई दे रहा है. किसी भी दल को बहुमत न मिलने के चलते 24 अक्टूबर के बाद से अब तक राज्य में सरकार गठन नहीं हो पाया है. बीजेपी और शिवसेना दोनों को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुला चुके हैं और उनके चांस खत्म हो गए हैं. आज एनसीपी की बारी है. इससे  पहले ही मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन पर फैसला ले लिया है और राष्ट्रपति को सिफारिश भेज दी है. इस बीच शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और अहमद पटेल से बातचीत की। बताया जा रहा है कि सिब्बल शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर सकते हैं। इस बीच, सोनिया गांधी ने एक समन्वय समिति का गठन किया है, जो शाम 5 बजे शरद पवार के साथ मुंबई में बैठक करेगी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे पहले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता सौंपा था। लेकिन, भाजपा ने सरकार गठन की इच्छा जाहिर नहीं की। इसके बाद शिवसेना को न्योता दिया गया। लेकिन, शिवसेना ने 2 दिन का वक्त मांगा था। राजभवन ने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद तीसरे सबसे बड़े दल राकांपा से राज्यपाल ने सरकार बनाने की इच्छा के बारे में पूछा। राकांपा ने कहा कि हमें मंगलवार रात 8:30 बजे तक का वक्त सौंपा गया है।

अब कांग्रेस की सरकार बनाने में दिलचस्पी
सोमवार को दो बैठकों के दौरान सोनिया ने महाराष्ट्र विधायकों से सरकार बनाने पर राय मांगी और साथ ही राकांपा से भी चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि अब कांग्रेस की दिलचस्पी महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बढ़ रही है। मंगलवार को हुई कांग्रेस की बैठक में सरकार बनाने को लेकर ही चर्चा हुई। इसके बाद सोनिया गांधी ने केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे और अहमद पटेल को राकांपा के साथ समन्वय का जिम्मा सौंपा है। वेणुगोपाल ने बताया कि हम सभी राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मिलने मुंबई रवाना हो रहे हैं। सत्ता गठन को लेकर फैसला सोनिया और पवार की बातचीत के बाद ही होगा।

राकांपा नेता अजित पवार ने मंगलवार को कहा कि हमने (राकांपा और कांग्रेस) साथ-साथ चुनाव लड़ा है, इसलिए सरकार बनने का फैसला हम अकेले नहीं ले सकते। उन्होंने कहा- कल 10 बजे से शाम 7 बजे तक हम उनके पत्र की राह देखते रहे, लेकिन शाम तक वह नहीं मिला। हमारा अकेले पत्र देना ठीक नहीं था। हमारे पास कुल 98 विधायक हैं। आज शाम को राकांपा और कांग्रेस नेताओं की मुंबई में बैठक होगी। राष्ट्रपति शासन के सवाल पर अजित ने कहा- अगर हम एक साथ चर्चा कर रहे हैं, तो आगे किसी चीज का कोई सवाल ही नहीं उठता।

शिवसेना को समर्थन के पक्ष में 44 में से 26 कांग्रेस विधायक
न्यूज एजेंसी एनएनआई के मुताबिक, महाराष्ट्र कांग्रेस के 44 में से 26 विधायक इस पक्ष में हैं कि शिवसेना को समर्थन दिया जाए। राज्य में राकांपा-शिवसेना और कांग्रेस की सरकार बने। ये 26 विधायक मराठा है। इनके अलावा भी ज्यादातर विधायक इस पक्ष में नहीं हैं कि नए सिरे से चुनाव हों।

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