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संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया

नई दिल्ली. संविधान दिवस के मौके पर मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमने अपने संविधान में विश्व के कई संविधानों की उत्तम व्यवस्था को बखूबी अपनाया है। इसके लिए सभी देशवासी सराहना के पात्र हैं। मोदी ने कहा कि 1947 में आजादी के बाद हम गणतंत्र हुए यह बात बाबा साहेब अंबेडकर ने याद दिलाई। 1950 के बाद देशवासियों ने संविधान पर कभी आंच नहीं आने दी। संविधान की इसी मजबूती के कारण हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत बना पाए।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ”70 साल पहले आज के दिन हम भारत के लोगों ने संविधान को अंगीकृत किया था। संविधान दिवस मनाना इसके शिल्पि के प्रति श्रद्धांजिल है। हमारे संविधान निर्माताओं ने दूरदर्शी और परिश्रम के द्वारा कालजयी प्रति का निर्माण किया, जिसमें हम सभी नागरिक सुरक्षित हैं। यह हमारा मार्गदर्शन करता है। इसी साल देशवासियों ने चुनाव में हिस्सा लिया। मतदान में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर रही। लोकसभा में 78 महिलाओं का चुना जाना गौरव की बात है।”

”25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपना अंतिम भाषण देते हुए डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता भारत की जनता और राजनीतिक दलों के आचरण पर निर्भर करेगी। डॉ अंबेडकर ने सभा के एक भाषण में ‘संवैधानिक नैतिकता’ के महत्व को रेखांकित करते हुए इस बात पर जोर दिया था कि संविधान को सर्वोपरि सम्मान देना और वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर, संविधान-सम्मत प्रक्रियाओं का पालन करना, ‘संवैधानिक नैतिकता’ का सार-तत्व है।”


PM मोदी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने 1950 में याद दिलाया था कि हम गणतंत्र बन गए हैं और इस आजादी को बनाए रख सकते हैं। 130 करोड़ भारतीयों के प्रति नतमस्तक हूं, उन्होंने कभी इसे झुकने नहीं दिया। देशवासियों ने कभी संविधान पर आंच नहीं आने दी। संविधान की मजबूती के कारण एक भारत-श्रेष्ठ भारत बना पाए। 70 साल पहले आज के दिन संविधान के एक-एक अनुच्छेद पर चर्चा हुई। यह सदन ज्ञान का महाकुंभ था। राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, हंसा मेहता, गोपाल स्वामी आयंगर ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष योगदान देकर यह महान विरासत सौंपी है। संविधान की भावना एक पंथ है। यह हमारा पवित्र ग्रंथ है। ऐसा ग्रंथ जिसमें हमारा जीवन, मूल्य, व्यवहार, परंपरा आदि का समावेश हैं। साथ ही इसमें चुनौतियों का समाधान भी है। संविधान में अधिकारों के साथ कर्तव्यों का अनुपालन भी है। राजेंद्र बाबू ने कहा था कि जो संविधान में जो लिखा नहीं है, उसे हम आपसी सहमति से पूरा करेंगे।

मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता जरूरी: उपराष्ट्रपति

  • उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘आज संविधान में उल्लेखित बातों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। लोगों को मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। स्कूलों में बच्चों को कर्तव्यों के बारे में बताना होगा। रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हमें देश की एकता और अखंडता के लिए काम करना चाहिए। अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति का उत्थान पहले होना चाहिए। हमें अपने मातृभाषा की इज्जत करना और इसे आगे बढ़ाना चाहिए।’’
  • लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला कहा- ‘‘आज के दिन नया इतिहास रचा गया था। आजादी के बाद हम पर संविधान निर्माण की महती जिम्मेदारी थी। डॉ. अंबेडकर ने सभी भारतीयों के साथ मिलकर संविधान का निर्माण किया। हमारा संविधान भारतीय संस्कृति और समाज का आईना है। संविधान ने हमें मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य भी शामिल हैं। मौलिक कर्तव्य 51 (ए) को अपने जीवन में उतारे तो यह जीवन को बदल देगा। वैज्ञानिक सोच को विकसित करते हुए श्रेष्ठता हासिल करें। वक्त है कि सभी सांसद देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत करें।’’


राष्ट्रीय युवा संसद योजना पोर्टल शुरू, 250 रुपए का सिक्का जारी हुआ
राष्ट्रपति ने राज्यसभा के 250वें सत्र पूरे होने पर 250 रुपए मूल्य का सिक्का और डाक टिकट जारी किया। सिक्के के एक तरफ सत्यमेव जयते लिखा है, दूसरी तरफ संसद भवन का चित्र है। संसद में भारत के संविधान के इतिहास पर प्रदर्शनी का उद्घाटन और लोकसभा कैलेंडर 2020 का लोकार्पण हुआ। प्रदर्शनी में संविधान के निर्माण से लेकर इसके लागू होने तक की कहानी प्रदर्शित की गई है। साथ ही ‘भारतीय संसदीय प्रक्रिया में राज्यसभा की भूमिका’ बुक का विमोचन भी हुआ। राष्ट्रीय युवा संसद योजना पोर्टल का शुभारंभ किया गया।

26 नवंबर को संविधान सभा ने औपचारिक तौर पर अपनाया था संविधान
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। लेकिन संविधान सभा ने इसे 26 नवंबर 1949 को ही औपचारिक तौर पर अपना लिया था। इस दिवस का उद्देश्य संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान निर्माण में लगे प्रयासों को प्रसारित करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी।
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