श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से एडवांस्ड रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। यह इसरो का साल का पांचवां मिशन है। कार्टोसैट के साथ अमेरिका के 13 छोटे कमर्शियल उपग्रह भी अपनी कक्षाओं में स्थापित हुए। यह लॉन्चिंग पीएसएलवी-सी47 रॉकेट से की गई। कार्टोसैट का उपयोग मौसम और असैन्य जानकारी जुटाने में होगा।
#PSLV-C47 successfully injects #Cartosat3 spacecraft into orbit pic.twitter.com/8QjiTY2kvl
— ISRO (@isro) November 27, 2019
इसरो प्रमुख के सिवन ने सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के बाद कहा, मुझे खुशी है कि पीएसएलवी सी-47 ने कार्टोसैट-3 के साथ 13 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में पहुंचाया। कार्टोसैट-3 हाई-रिजोल्यूशन की असैन्य सैटेलाइट है। हमारे पास 6 मार्च तक 13 मिशन कतार में हैं। इनमें 6 बड़े व्हीकल के मिशन हैं, जबकि 7 सैटेलाइट मिशन हैं।
Watch: Launch of Cartosat-3 and 13 USA’s Nanosatellite by PSLV-C47
Watch Live: Launch of Cartosat-3 and 13 USA’s Nanosatellite by PSLV-C47 https://t.co/wvdBy25uCG
— ISRO (@isro) November 27, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्टोसैट-3 और अन्य उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया, “पीएसएलवी-सी47 रॉकेट से स्वदेश निर्मित कार्टोसैट-3 और 13 अन्य नैनो सेटैलाइट के सफतापूर्वक प्रक्षेपण इसरो टीम को बधाई। एडवांस्ड कार्टोसैट-3 के माध्यम से हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें ली जा सकेंगी। इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है।”
I heartily congratulate the entire @isro team on yet another successful launch of PSLV-C47 carrying indigenous Cartosat-3 satellite and over a dozen nano satellites of USA.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 27, 2019
कार्टोसैट-3 का वजन लगभग 1500 किलोग्राम है। यह थर्ड जेनरेशन एडवांस्ड हाई रेजोल्यूशन वाले अर्थ इमेजिंग सैटेलाइटों में पहला है। एजेंसी 1988 से ही रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट लॉन्च कर रही है। इन सैटेलाइट्स के जरिए इसरो को पृथ्वी की हाई-रिजोल्यूशन तस्वीरें मिलती हैं। इनका इस्तेमाल 3-डी मैपिंग, आपदा प्रबंधन, खेती, जल प्रबंधन और सीमा सुरक्षा के लिए किया जाता है।
कार्टोसैट सीरीज की सैटेलाइट्स प्रमुख तौर पर पृथ्वी की मैपिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। कार्टोसैट-3 इसी कड़ी का हिस्सा है। कार्टोसैट-2 सीरीज में पहले लॉन्च किए गए सैटेलाइट ने पड़ोसी देशों की तस्वीरें खींची। इससे सेना और सरकार को लाइन ऑफ कंट्रोल के पार जाकर टेररिस्ट लॉन्च पैड को तबाह करने में मदद मिली।
22 जुलाई को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। इसका ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में स्थापित हो गया, लेकिन 7 सितंबर को लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग करने में नाकाम रहा था।