प्रतिदिन:
सी बी आई : इसलिए चुप है सरकार !
भारत की केन्द्रीय जाँच एजेंसी सी बी आई को उसके ही कारकूनों ने मजाक बना दिया है, और सरकार चुप है | प्याज के छिलकों की तरह रोज एक परत उतर रही है और सर्वोच्च न्यायलय में दायर याचिकाएं जो कहानी कह रही है| वो पूरे देश के प्रशासन एक ऐसा चित्र खींचते हैं | जिसमें निकम्मापन,राजनीतिक हस्तक्षेप मनमानी और रिश्वतखोरी के सिवाय कुछ दिखता ही नहीं है | सी बी आई प्रकरण को लेकर नौकरशाही ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार में भी जबर्दस्त खेमेबाजी नजर रही है। पीएमओ, डी ओ पी टी, सी वी सी और गृह मंत्रालय में सी बी आई प्रकरण पर मंत्रियों और नौकरशाहों की अलग-अलग राय है। केंद्र सरकार के मंत्रियों का समूह, जिसमें गृह मंत्रालय भी शामिल है, इस मसले पर कहीं न कहीं सीबीआई के एक खेमे के साथ खड़ा है।
सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिकाओं में नित नए खुलासे हो रहे हैं। अब डीओपीटी से जुड़े एक अधिकारी का दावा है कि सीबीआई प्रकरण में हुई फोन टेपिंग से अभी कई नए राज खुलेंगे। फोन टेपिंग में मंत्री, देश के टॉप नौकरशाह और कई दूसरे नेताओं का नाम कई बार लिया गया है।सी बी आई प्रकरण पर शुरु से ही केंद्रीय कैबिनेट ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के अधिकारी भी एकमत नहीं दिखे हैं। गृह मंत्रालय,पेट्रोलियम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय एवं एनडीए के सहयोगी दलों से जुड़े तीन चार मंत्री भी सी बी आई मामले को लेकर सरकार की भूमिका से नाराज हैं। यहां तक कि पीएमओ में टॉप लेवल के दो अफसर भी सीबीआई विवाद में अलग राय रखते हैं। पीएमओ में एक पूर्व नौकरशाह ने इस मामले में वर्मा के खिलाफ एक्शन लेने की बात का विरोध किया था। उसी वक़्त, दूसरे नौकरशाह, राकेश अस्थाना के पाले में खड़े हुए नजर आ रहे थे। आम चर्चा है कि आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने और उनके करीबी अफसरों का दिल्ली से बाहर ट्रांसफर करने की बात पर पीएमओ में ज़बर्दस्त तनातनी रही थी। सीबीआई अधिकारी एमके सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जो बातें रखी हैं, उनसे साफ हो जाता है कि सीबीआई में कथित तौर पर केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य, एनएसए, सीवीसी,डीओपीटी व रॉ का भी हस्तक्षेप रहा है।
एक याचिका से यह उजागर हुआ है कि जांच एजेंसी के अफसरों की फोन टेपिंग ने कई ऐसे लोगों का नाम उजागर कर दिया है, जो बड़े पैमाने पर सीबीआई के कामकाज को प्रभावित करने में लगे थे। मोईन कुरैशी मामले में भ्रष्टाचार के आरोपी मनोज और सोमेश के साथ जिन लोगों की बातचीत हुई थी, उसमें कथित तौर पर देश के टॉप नौकरशाह, पीएमओ के अफसर और केंद्रीय मंत्रियों का नाम सामने आया है। साथ ही जांच एवं ख़ुफ़िया एजेंसियों के बड़े अफसरों की पोल खुलती जा रही है।
अभी तक जो कॉल डिटेल मौजूद हैं, उसमें रॉ के स्पेशल सचिव, सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और पीएमओ व एन एस ए के एक अधिकारी का नाम भी सामने आया है। फोन टेपिंग मामलों में यह बात सार्वजनिक हुई है कि मंत्री और दूसरे कई प्रभावशाली अधिकारी किस तरह से सीबीआई को अपनी अंगुली पर नचाते हैं।
वैसे अभी तक अदालत या मीडिया के पास जो भी सबूत हैं,उनसे कहीं ज्यादा प्रभावी एक नई फोन रिकॉर्डिंग फाइल जल्द बाहर आ सकती है। इस फाइल की जानकारी सीबीआई में निदेशक स्तर के एक अधिकारी, डीआईजी व दो डीएसपी एवं देश के दो बड़े वकीलों के पास भी है। इस फाइल में वे सब बातें रिकॉर्ड हैं, जिसमें रॉ, सीबीआई, एनएसए और डीओपीटी के तीन अधिकारी आपस में बातचीत करते हैं। इस बातचीत के दौरान कई ऐसे लोगों का नाम लिया गया है, जो देश में बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। यह सब प्रमाणित करता है, बड़ी गडबड है, सरकार को फौरन इस मामले में स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए |