नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में उग्र प्रदर्शन हुए। फिरोजाबाद में प्रदर्शनकारियों ने एक चौकी जला दी। कानपुर और गोरखपुर समेत बाकी शहरों में भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। राज्य में 3 हजार से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए हैं। 20 जिलों में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है। लखनऊ में गुरुवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ था, लेकिन शुक्रवार को यहां शांति रही। वहीं, दिल्ली की जामा मस्जिद के बाहर लोगों ने प्रदर्शन किया। यहां से भीम आर्मी भी मार्च निकाल रही है, जो जंतर-मंतर तक जाएगा। पुलिस ने भीम आर्मी को मार्च की इजाजत नहीं दी है। पूर्वोत्तर दिल्ली में सुरक्षा इंतजाम कड़े किए गए हैं। 6 मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं।

इस बीच गुरुवार को हुई हिंसा के बाद गुजरात में 8 हजार लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में 20 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद है। दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है। केरल के 4 जिलों में हाईअलर्ट जारी किया गया है। मध्य प्रदेश में भी मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
नागरिकता कानून और इसके विराेध पर मुख्यमंत्रियों के बयान
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को कहा कि मैं असम की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि भाषा और संस्कृति के आधार पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा। मैं नए कानून का विरोध करने वालों को बातचीत के लिए आमंत्रित करता हूं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि आज जो लोग मुसलमानों को भड़काने में लगे हैं, उन्हें राजपाट का जब मौका मिला था, तब उन्होंने क्या किया? मैं इस बात की गारंटी लेता हूं कि बिहार में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा नहीं होगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी में हिम्मत है तो वे संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में नागरिकता कानून पर जनमत संग्रह कराए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा है कि नए कानून से किसी भी भारतीय नागरिक के अधिकारों का हनन नहीं होता। अफवाहों पर ध्यान न दें।
क्या है नागरिकता कानून
नागरिकता कानून 1955 में आया था। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है। उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान हैं। संशोधित कानून में पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता मिलने का समय घटाकर 11 साल से 6 साल किया गया है। मुस्लिमों और अन्य देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 11 साल ही रहेगी।