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बिहार मुजफ्फरपुर की बेटी किसान चाची को मिला पद्मश्री सम्मान

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को 2019 के लिए यहां राष्ट्रपति भवन में पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किए। अभिनेता व डांसर प्रभु देवा, दिवंगत पत्रकार कुलदीप नैय्यर (मरणोपरांत सम्मानित) और उद्योगपति जॉन चैम्बर्स पद्म पुरस्कार से सम्मानित वालों में शामिल रहे। पद्म पुरस्कार राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में प्रदान किए गए। इस साल गणतंत्र दिवस पर चार पद्म विभूषण, 14 पद्म भूषण और 94 पद्मश्री सहित 112 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई थी।

President Kovind presents Padma Awards at 2019 Civil Investiture Ceremony at Rashtrapati Bhavan

हुकुमदेव नारायण यादव को राष्ट्रपति ने पद्म भूषण से किया सम्मानित, बिहार के 6 लोगों को पद्म पुरस्कार : मधुबनी से बीजेपी सांसद हुकुमदेव नारायण यादव को समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को उन्हें यह सम्मान दिया। उनके अलावा बिहार के पांच और लोगों को भी पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अभिनेता मनोज वाजपेयी को फिल्म, राजकुमारी देवी को कृषि क्षेत्र, भागीरथी देवी को समाज कल्याण, गोदावरी दत्ता को मिथिला पेंटिंग और ज्योति कुमार सिन्हा को सोशल वर्क और एजुकेशन के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

किसान चाची को मुश्किल से मिलती थी दो वक्त की रोटी, खेती से मिली सफलता : गांव की पगडंडियों पर मीलों साइकिल चलाकर किसानों के बीच क्रांति की अलख जगाने वाली किसान चाची आज हजारों महिलाओं की रोड मॉडल हैं। गांव की आम महिला से किसान चाची के रूम में नाम बनाने का सफर काफी संघर्ष से भरा है। राजकुमारी देवी है किसान चाची का नाम.बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी को लोग आज किसान चाची के नाम से जानते हैं, लेकिन 40 साल पहले ऐसा नहीं था। गरीब घर में जन्मी राजकुमारी देवी की शादी किसान परिवार में हुई थी। राजकुमारी ने ससुराल में अपनी गृहस्थी जमाई भी नहीं थी कि ससुर ने उसे पति के साथ परिवार से अलग कर दिया। बंटवारे के बाद मिले ढाई एकड़ जमीन से उन्हें अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना था। ढ़ाई एकड़ जमीन की उपज से परिवार का पेट पालना कठिन था। हमेशा घर की चहारदीवारी में रहने वाली राजकुमारी ने मुश्किल घड़ी में हौसला नहीं खोया। उन्होंने फैसला किया कि इस जमीन से ही हम इतने पैसे कमाएंगे, जिससे परिवार खुशी से रह सके।

राजकुमारी ने राजेन्द्र कृषि विवि से उन्नत कृषि की जानकारी ली और अपनी जमीन पर पपीता और ओल की खेती शुरू की। उन्होंने अपने खेत में पैदा हुए ओल को सीधे मार्केट भेजने की जगह उसका अचार और आटा बनाकर बनाकर बेचना शुरू किया। अचार के बिजनेस से राजकुमारी को अच्छी आय होने लगी। गांव की महिलाओं को जब इसका पता चला तो वे भी सीखने आने लगी। राजकुमारी ने अपने जैसी उन महिलाओं को साथ लिया जो गरीबी में जी रही थी और कुछ करना चाहती थी। उन्होंने अपने घर पर ही महिलाओं को खेती और अचान बनाने के तरीके सिखाए। वक्त के साथ उनके अचार और अन्य फूड प्रोडक्ट का बिजनेस बढ़ता गया और राजकुमारी की जगह वह किसान चाची के नाम में फेमस हो गईं।

अपने काम के साथ किसान चाची ने गांव की गरीब महिलाओं के लिए भी काफी प्रयास किया। गांव-गांव जाकर व महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाने लगीं। वह साइकिल ले ही 40-50 km की दूरी तक चली जाती थी। उन्होंने महिलाओं को खेती, फूड प्रोसेसिंग और मूर्ति बनाने के तरीके सिखाए। अब तक किसान चाची 40 स्वयं सहायता समूह का गठन कर चुकी हैं। बिहार सरकार ने भी किसान चाची को सम्मानित किया है। केंद्र सरकार की ओर से देश भर के किसानों को उनके अनुभवों से लाभान्वित करने के लिए उनपर फिल्म भी बनाई जा चुकी है। 58 साल की किसान चाची आज भी दिन भर में 30 से 40 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं और गांवों में घूमकर किसानों के बीच मुफ्त में अपने अनुभवों को बांटती हैं।

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