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‘द रॉयल क्यूजिन फूड फेस्टिवल’ में प्रदेश से आए राजघरानों ने अपने शाही व्यंजन पेश किए

भोपाल : मिंटो हॉल में गुरुवार से चार दिवसीय ‘द रॉयल कूजीन फूड फेस्टिवल’ शुरू हो गया। इस खास कार्यक्रम में प्रदेश के 10 राजघरानों के 60 से ज्यादा शाही व्यंजन परोसे गए हैं। यहां आपको देश के अलग-अलग राजघराने के व्यंजनों की खुशबू और स्वाद चखने को मिलेगा। रीवा महाराज पुष्पराज सिंह और झाबुआ के महाराज जय सिंह ने खुद शाही व्यंजन बनाए और उन्हें पेश किए। इस दौरान दैनिक भास्कर ने शाही राजघरानों के दुर्लभ व्यंजनों के इतिहास जानने की कोशिश की.


रीवा राजघराने की जया सिंह का मायका जावरा राजघराना है। उन्होंने बताया कि तीन पीढ़ी पहले रामपुर के नवाबों के परिवार की लड़की की शादी जावरा रियासत में हुई। चूंकि रामपुर उस जमाने में मशहूर रियासत थी। ऐसे में जावरा के महाराजों ने अपने यहां के खानसामे और बावर्ची रामपुर नवाब के यहां भेजे। उन्हें खासतौर पर इस हिदायत के साथ भेजा गया कि वह रामपुर घराने में पकायी जाने वाले व्यंजनों की रेसिपी अच्छे से सीखकर आएं, जिससे राजकुमारी को यहां पर वही भोजन परोसा जा सके। जावरा के महाराजों के यहां अब भी रामपुर के नवाबों की रेसिपी ही चलती है। इसमें चिकन सुनहरी, मटन स्टयू, चिकन अंगारा, कराची मटन चॉप, कीमामी सेवाइयां, फिश कबाब, बटरे भंजुमा, लौकी का हलवा, शाही टुकड़ा आदि लेकर आएगा।


फूड फेस्टिवल में रीवा के महाराज पुष्पराज सिंह ने बघेलखंड की प्रसिद्ध इंद्रहर कढ़ी बनाई। इसे लोगों को परोसा गया। इस बघेलखंड में रसाज कढ़ी भी बोलते हैं। उन्होंने बताया कि इस कढ़ी को बनाने के लिए चने की दाल को रात भर भाप में पकाया जाता है। सुबह उतारने के बाद उसे कलियों में काट लिया जाता है। इसके बाद उन कलियों को पहले से तैयार किए गए मसालों के मिश्रण में मिलाकर पकाया जाता है। इसके बाद परोसते हैं। इसे मैंने खुद तैयार कराया और आज परोसी गई है।


महाराज पुष्पराज ने बताया कि हमारे राजघराने में मटन बांधवेश बनता है, ये ऐसा व्यंजन है, जो आपने कहीं भी नहीं खाया होगा। इसमें काजू की ग्रेवी, गर्म दूध, केसर, खड़े मसाले (रोस्ट करके पीसे जाते हैं) आदि सामग्रियां डाली जाती हैं। चूल्हे पर स्लो कुकिंग इसे अलग ही स्वाद और खुशबू देते हैं। इसके साथ ही गुलाब चिकन दम और धोख जैसे व्यंजन भी यहां पर परोसे जाएंगे। सभी व्यंजन परंपरागत तरीके से ही बनाए जाते हैं।
झाबुआ राजघराना 450 साल पुरानी रवायतों को निभा रहा है। वह फूड फेस्टिवल में मटन शाही पसंदा लेकर आ रहे हैं। यह 1940 से हमारे यहां बनाया जा रहा है, जिसमें कश्मीरी पाक कला का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। वहीं कूरमा मासू में मालवी स्वाद के साथ नेपाली ज़ायका मिलेगा। इसे गुरुवार को खुद तैयार किया, जिसे परोसा गया। महाराज कुमार जय सिंह मैंने आज जो पेश किया है, वो कोरमा मासू है। नेपालिज मटन डिश है। हमारी ग्रैंड मदर नेपाल की थीं। उनके आने से हमारे परिवार में नेपालिज क्यूजीन भी आई है। इसमें जो मसाले डलते हैं, जो नेपाल और हिमाचल में मिलते हैं। जमूर (काली मिर्च) तिमूर मसाले होते हैं। एक अचार होता है मिर्चे का, जिसे कुर्के कसानी कहते हैं। वह अंत में डलता है, जिसके बाद 5 मिनट का दम दिया जाता है। फिर कोरमा मासू तैयार हो जाता है।
पंजाब से आए सेलिब्रिटी सेफ हरपाल सिंह शोखी ने कहा कि उनका मध्यप्रदेश से पुराना रिश्ता है। मैं इंदौर के एक विंटेज होटल में सेफ के तौर पर काम करता था। उस होटल में होलकर घराने के रिचर्ड होलकर और शालिनी होलकर खाना खाने आते थे। शालिनी होलकर ने खुश होकर उन्हें कुकिंग की एक किताब भेंट की थी, जो उनके लिए बाईबल के समान है। इस किबात को पढ़ने के बाद पता चला कि मध्यप्रदेश में राजघरानों के व्यंजनों की भव्य और शानदार परम्पराएं हैं। इसके बाद मैंने इस और काम शुरू किया, जिससे मुझे कई घरानों के शाही व्यंजनों के बारे में जानकारी मिली।

राजघराने, जिनके व्यंजन परोसे गए 

हम पुराने पारिवारिक व्यंजन पेश करेंगे। सबसे खास होगा खड्डमुर्ग। इसमें मुर्गे को मैरिनेट करने के लिए विशेष मसालों का उपयोग होता है, जो बाजार के मसालों से अलग होते हैं। फिर मोटी रोटियों में लपेटकर सुतली से बांधा जाता है और जमीन में गड्ढा करके पकाया जाता है। मेरे बड़े भाई सुमेर सिंह ने इसमें महारथ हासिल की, इसलिए इसका नाम अब खड्डमुर्ग सूमेरू हो गया है। – रणवीर सिंह, गढ़ा और सैलाना राजघराना

मेवाड़ स्टेट की 400 वर्ष पुरानी सरवनिया जागीर राजसी स्वाद की सौगात ला रही है। वर्षों पुराने राजसी स्वाद का जादू समेटे हुए व्यंजन जैसे, मटन पुलाव, कॉकटेल फिश, दही कबाब, जमीन के कबाब, दाल सरवनिया, पलाक हलवा आदि प्रस्तुत किए जाएंगे। – महाराज रविप्रताप सिंह राणावत, सरवनिया राजघराना

होलकर राजघराने की सिग्नेचर डिशेज बटेर सुर्वेदार, स्मोक्ड अनार रायता, रोसोगुल्ला इस्प्रेसो, योगहर्ट विद स्पिनच गुआवा लोंजी आदि सर्व किए जाएंगे। इन्हें शेफ कृष्णा कुमार भुजले तैयार करेंगे। – होलकर राजघराना

400 साल पुरानी नरसिंहगढ़ रियासत के व्यंजनों में शाही गोश्त प्रमुख है। यह जंगल की डिश है, जिसमें केसर, काजू, बादाम, खोया, खड़े मसाले मिलाते हैं और लकड़ी के चूल्हे पर पकाते हैं। वहीं उमतवाड़ काली मिर्च चिकन, व्हाइट ग्रेवी का चिकन होता है। – महाराज कुमार विश्व प्रताप सिंह, नरसिंहगढ़

जौरा रियासत प्रमुख रूप से चिकन सुनहरी, मटन स्टयू, चिकन अंगारा, कराची मटन चॉप, कीमामी सेवाइयां, फिश कबाब, बटरे भंजुमा, लौकी का हलवा, शाही टुकड़ा आदि लेकर आएगा। – कुंवर नितिराज सिंह, जौरा रियासत 

हमारा राजघराना मटन बांधवेश, गुलाब चिकन दम, इंद्राहार, धोख जैसे व्यंजन लेकर आ रहा है। यह सभी व्यंजन परंपरागत तरीके से बनाए जाते हैं। इनमें मटन बांधवेश ऐसा है, जो आपने कहीं भी नहीं खाया हाेगा। इसमें काजू की ग्रेवी, गर्म दूध, केसर, खड़े मसाले (रोस्ट करके पीसे जाते हैं) आदि सामग्रियां डाली जाती हैं। चूल्हे पर स्लो कुकिंग इसे अलग ही स्वाद और खुशबू देते हैं। – महाराज पुष्पराज सिंह, रीवा राजघराना

झाबुआ राजघराना 450 साल पुरानी रवायतों को निभा रहा है। हम मटन शाही पसंदा लेकर आ रहे हैं। यह 1940 से हमारे यहां बनाया जा रहा है, जिसमें कश्मीरी पाक कला का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। वहीं कूरमा मासू में मालवी स्वाद के साथ नेपाली ज़ायके भी मिलेंगे।- महाराज कुमार जय सिंह, झाबुआ राजघराना

भोपाल राजघराना मकई शोरबा, सोया कीमा मटर, जर्दा पुलाव, चुकंदर का हलवा, मुर्ग जाफरानी शोरबा, पालक शोरबा, चुकंदर के कबाब, गोश्त के पसंदे, बैगन मिर्च का शोरबा, मुर्ग भोपाली रिजाला लाएगा। कुरवई राजघराना दम पुख्त चिकन बिरयानी जैसे व्यंजन लाएगा। – भोपाल और कुरवई राजघराना

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