रायपुर : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार देश को बांटने में लगी है। उन्होंने कहा, “एनपीआर हो या एनआरसी, यह देश के गरीबों पर एक टैक्स है। नोटबंदी देश के गरीबों पर एक टैक्स था। नोटबंदी में लोगों को अपने पैसे निकालने के लिए पैसे देने पड़े थे, यह भी ठीक वैसी ही स्थिति है। गरीब आदमी अफसर के पास जाएगा, अपने कागज दिखाइगा और नाम में कुछ गड़बड़ी होगी तो ठीक कराने के लिए पैसे देगा। गरीबों की जेब से करोड़ों रुपये निकालकर यह फिर 15 लोगों की जेब में जाएगा।” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माड़िया गौड़ सींग पहनाकर राहुल गांधी का स्वागत किया। उन्होंने राहुल गांधी को गोबर से तैयार नेम प्लेट भी गिफ्ट की। राहुल ने बस्तर के आदिवासी कलाकारों के साथ नृत्य भी किया।
आदिवासियत के रंगों में रंगा हिंदुस्तान विश्व में अपनी अलग छवि रखता है। इसी छवि में छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज विश्व के अलग-अलग आदिवासी समुदायों के रंग देखने को मिले। श्री @RahulGandhi ने आज महोत्सव में उपस्थित रहकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया। pic.twitter.com/bcCsvWKhcs
— Congress (@INCIndia) December 27, 2019
इससे पहले राहुल गांधी ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा, “एनपीआर और एनआरसी गरीबों पर एक हमला है। केंद्र सरकार से गरीब पूछ रहा है कि हमें रोजगार कैसे मिलेगा, पैसा जेब से निकाल लिया, हमें मार दिया, लेकिन हमें मिला क्या। देश की अर्थव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। देश में 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है, ऐसा छत्तीसगढ़ में नहीं है।”
Wrong decisions like demonetisation and GST will not help the economy, employment will not be created. I am happy that in Chhattisgarh we are bringing everyone together and taking the state forward: Shri @RahulGandhi#CGTribalFest2019 pic.twitter.com/OA6PA6A1gR
— Congress (@INCIndia) December 27, 2019
उन्होंने कहा, ”पहले विश्व में माना जाता था कि आर्थिक विकास दर में भारत और चीन तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आज पूरी दुनिया में कहा जा रहा है कि हिंदुस्तान में हिंसा हो रही है, महिलाओं को सड़कों पर नहीं चलने दिया जा रहा है, बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर यह कैसे हुआ, अर्थव्यवस्था की धज्जियां क्यों उड़ाई गई।”
रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में शुरू हुए तीन दिवसीय नृत्य महोत्सव आदिवासी कला और संस्कृति के रंग में सजा है। छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसने अब अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का रूप ले लिया है। इसमें देश के 25 राज्य और केंद्र शासित राज्यों के साथ ही 6 देशों के करीब 1350 से अधिक कलाकार अपनी जनजातीय कला संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। इसमें बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, यूगांडा, बेलारूस और मालदीव के कलाकार भी शामिल हो रहे हैं।