देश में बने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस ने नौसेना में शामिल होने के लिए एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के अधिकारियों ने शुक्रवार को गोवा (Goa) की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग (Arrested landing) कराई। तेजस (Tejas) यह मुकाम पार करने वाला देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया।
#WATCH DRDO and the Aeronautical Development Agency successfully executed the first ever arrested landing of LCA Tejas (Navy) at the shore based test facility in Goa. This is a step towards the aircraft getting operational on aircraft carrier INS Vikramaditya. (video:DRDO) pic.twitter.com/LcsnIYTHPU
— ANI (@ANI) September 13, 2019
क्या है अरेस्टेड लैंडिंग?
नौसेना में शामिल किए जाने विमानों के लिए दो चीजें सबसे जरूरी होती हैं। इनमें एक है उनका हल्कापन और दूसरा अरेस्टेड लैंडिंग। दरअसल, कई मौकों पर नेवी के विमानों को युद्धपोत पर लैंड करना होता है। चूंकि, युद्धपोत एक निश्चित भार ही उठा सकता है, इसलिए विमानों का हल्का होना जरूरी है। इसके अलावा आमतौर पर युद्धपोत पर बने रनवे की लंबाई निश्चित होती है। ऐसे में फाइटर प्लेन्स को लैंडिंग के दौरान रफ्तार कम करते हुए छोटे रनवे में जल्दी रुकना पड़ता है। यहां पर फाइटर प्लेन्स को रोकने में अरेस्टेड लैंडिंग काम आती है।
इससे पहले अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन द्वारा निर्मित कुछ विमानों में ही अरेस्टेड लैंडिंग की तकनीक रही है। तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग सफल होने के साथ ही विमान को नेवी में शामिल किए जाने का एक चरण पूरा हो गया है। इसके बाद पायलट्स को अब असल ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर- आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग करके दिखाना होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस लड़ाकू विमान का एडवांस वर्जन हैं। इसका डिजाइन रक्षा शोध और विकास संस्थान (drdo) ने तैयार किया है। पिछले साल डीआरडीओ प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के सामने फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस (FOC) प्रमाणपत्र दिया था।
दो साल पहले रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए 50,000 करोड़ रुपए की अनुमति दी थी मगर समिति ने इसका मूल्यांकन करके इसकी कीमत 45 हजार करोड़ रुपए तय की। मांग के मुताबिक, एचएएल अगले 36 महीनों में पहला एलसीए मार्क 1ए प्लेन वायुसेना को देगी। इसमें नई तकनीक और नया रडार सिस्टम होगा। पहले चरण में करीब 40 एयरक्राफ्ट मुहैया करवाए जाएंगे।