देश में महिलाओं को होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा हैं। 2018 में सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर के ही 1 लाख 62 हजार 468 नए मामले सामने आए और 87,090 मौते हुईं। इन्हीं आंकड़ों को घटाने के लिए जर्मनी (Germany) की शेडी गैंड भारत आई हैं। ब्रेस्ट कैंसर को हराने के बाद शेडी ने महिलाओं को जागरूक करने के लिए 2016 में तमिलनाडु के गांवों का रुख किया। वे महिलाओं को कैंसर से बचाने के लिए हर जरूरी जांच करा रही हैं। इसमें उनकी मदद कर रही है- मेमोमोबाइल। यह चलती-फिरती लैब है, जिसमें ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए हर जरूरी उपकरण मौजूद हैं।
इसलिए भारत को चुना Breast Cancer day 2020
मेमोमोबाइल नाम रखने की वजह भी ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी है। मेमो शब्द मेमोग्राम से जुड़ा है। मेमोग्राम टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर (Mammogram test breast cancer) का पता लगाने के लिए किया जाता है। शेडी कहती हैं, ‘‘भारत में मेमोमोबाइल (Mammomobile) की शुरुआत की एक वजह है। यहां महिलाओं में कैंसर के ज्यादातर मामले तब पता चलते हैं, जब देर हो चुकी होती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। मोबाइल लैब को बनवाने में करीब 2 करोड़ रुपए का खर्च आया।’’ इसे शेडी गैंज फाउंडेशन मेमोमोबाइल ट्रस्ट की मदद से चलाया जा रहा है।
शेडी अब तक तमिलनाडु के 92 से अधिक गांवों में महिलाओं की जांच कर चुकी हैं। हर महीने करीब 500 मेमोग्राम किए जाते हैं। शेडी पेशे से वैज्ञानिक और साइकोथैरेपिस्ट (Scientist and Psychotherapist) हैं। वे कहती हैं, ‘‘ब्रेस्ट कैंसर से जूझने के बाद मुझे उम्मीद नजर आई। महिलाओं में इसके मामलों में कमी लाने के लिए मैंने इसकी शुरुआत की।’’ मोबाइल लैब सिर्फ जांच के लिए ही नहीं, बल्कि लोगों को कैंसर बचाने से जागरूक भी कर रही है।
लैंब में जांच के नतीजे तत्काल
मेमोमोबाइल में छोटे-छोटे कंपार्टमेंट बने हैं, जिसमें अमेरिका से मंगाई गईं अत्याधुनिक मशीनें हैं, जिनसे जांच के कुछ ही मिनट के अंदर तत्काल रिपोर्ट ली जा सकती है। बस के एक कंपार्टमेंट मेमोग्राम सेक्शन है तो दूसरे कंट्रोम में जांच की रिपोर्ट तैयार होती है। इसके अलावा एक ऐसा सेक्शन भी है, जहां सर्वाइकल कैंसर की जांच होती है। जरूरत पड़ने पर चेन्नै (Chennai) के कैंसर इंस्टीट्यूट (Cancer Institute) के विशेषज्ञ जांच करते हैं।
शेडी के मुताबिक, भारत की सड़कें बस में मौजूद मशीनों के लिए बड़ी चुनौती हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर मशीन में मौजूद रिपोर्ट को सीडी में लेकर कोरियर की मदद से विशेषज्ञों तक पहुंचाना पड़ता है। शेडी ट्रस्ट की मदद से ऐसी महिलाओं की आर्थिक मदद भी कर रही हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं। तमिलनाडु के गांवों के बाद अगला पड़ाव बेंगलुरू होगा।
It’s #WorldCancerDay
DYK: In 2018, over 18 MILLION people around 🌏🌍🌎 had #cancer, and 10 MILLION people died from the disease.https://t.co/4LFMaV6OqH
Let’s beat cancer!
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— World Health Organization (WHO) (@WHO) February 3, 2020