- अभिमत

आधी आबादी के पक्ष में अप्रतिम फैसला

प्रतिदिन :
आधी आबादी के पक्ष में अप्रतिम फैसला

सरकार के विरोध के बावजूद देश की आधी आबादी [नारी शक्ति ] के पक्ष में अर्थात भारतीय सेना में कार्यरत महिलाओं को कमान देने का सर्वोच्च न्यायालय का आदेश हर दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक निर्णय है, इसके प्रभाव अन्य क्षेत्रों में कार्यरत नारी शक्ति पर भी होगा | तीन महीने के भीतर लागू होनेवाले इस फैसले से अब महिला अधिकारी भी अपने पुरुष सहकर्मियों की तरह मेधा व क्षमता के आधार पर कर्नल और उससे ऊपर के पदों को पा सकेंगी| एक कर्नल अमूमन एक बटालियन की अगुवाई करता है, जिसमें ८५० सैनिक होते हैं और उसे अपनी कमान के मुताबिक स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार होता है|इसका एक मतलब यह है कि महिला सैनिकों के लिए सेना के सर्वोच्च पद तक जा सकने की संभावनाओं के दरवाजे खुल गये है, लेकिन व्यावहारिक रूप से ऐसा होने में समय लग सकता है कि मौजूदा व्यवस्था में उन्हें लड़ाकू भूमिकाएं नहीं दी जाती हैं| इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कमान देने का विरोध इस आधार पर किया था कि महिलाओं की क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है तथा ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने के कारण सैनिक इसे स्वीकार नहीं करेंगे| इस पर अदालत ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ऐसी सोच को भेदभावपूर्ण, पूर्वाग्रहग्रस्त और महिलाओं व सेना के लिए अपमानजनक बताया है|

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं न केवल आगे ही बढ़ती जा रही हैं, बल्कि अक्सर पुरुषों से बेहतर नतीजे भी दे रही हैं| ऐसे में अदालत का यह फैसला आधी आबादी के हौसले को मजबूत करेगा तथा सरकार व समाज के दकियानूसी रवैये को भी बदलने में मददगार होगा. चाहे सेना हो या कोई और क्षेत्र, पुरुषों की तरह महिलाओं के बारे में फैसले भी पेशेवर क्षमता और प्रतिभा के आधार पर होने चाहिए. न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि सेना पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकती है| वैसे इस फैसले को संसद से सडक तक हर जगह लागू होना चाहिए अनेक क्षेत्र ऐसे है जो अब भी लैंगिक आधार पर भेदभाव करतेरहे हैं | इस निर्णय के आलोक में कुछ और जगहों पर यह गैर बराबरी खत्म की जा सकती है |

यह संदेश देश के हर पेशे और समाज के हर हिस्से के लिए भी उतना ही अनुकरणीय है जितना वर्ष २०१० में दिल्ली उच्च न्यायालय ने शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत कार्यरत महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था, पर इसे लागू करने में नौ साल लगे और इस बाबत अधिसूचना पिछले साल जारी हो सकी| अभी तक उस महिला अधिकारी को ही स्थायी कमीशन देने पर विचार होता है, जिसके शॉर्ट सर्विस कमीशन में 14 साल से कम होते हैं| उन्हें गैर-लड़ाकू सेवाओं में ही जिम्मेदारी दी जाती है| अदालत ने 14 साल की सेवा के बाद भी स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया है|

उल्लेखनीय है कि वायु सेना और नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन मिलता है और उन्हें कुछ लड़ाकू जिम्मेदारियां भी दी जाती हैं.|सरकार के जवाब में सेना में कार्यरत महिला अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में साहस व दृढ़ता का परिचय दिया है. हमारी सेनाएं गौरव का अप्रतिम संस्थान हैं| अब वहां लैंगिक समानता के नये अध्याय का सूत्रपात हो रहा है, जो निश्चित रूप से राष्ट्रीय जीवन के लिए एक आदर्श उदाहरण के रूप में स्थापित होगा|

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *