प्रतिदिन :
ट्रम्प- मोदी : बेहतर होगा ये बातें साकार हो जाएँ
यह भी छोटी बात नहीं है कि वर्तमान माहौल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न सिर्फ एक-दूसरे पर भरोसा जताया, बल्कि अपनी-अपनी चिंताएं और मुश्किलें भी आपस में साझा कीं है । दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। दोनों ने यह भी स्वीकार किया कि इस राह में कुछ रुकावटें हैं, लेकिन बैठक के बाद दिए गए साझा बयान में दोनों नेताओं ने उन गतिरोधों से जल्द ही पार पाने की उम्मीद जताई, वो क्षण सुखद होगा जब वे बातें साकार हो जाएँ ।
इस बार बैठक का सुखद नतीजा , ‘कॉम्प्रिहेन्सिव ग्लोबल स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप’ (Comprehensive Global Strategic Partnership) पर बनी सहमति है । यह नीति दोनों देशों के मौजूदा रिश्ते को नई ऊंचाई दे सकती है। इस नई साझेदारी का मतलब है कि द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा वैश्विक मसलों पर भी दोनों देशों में सामरिक साझीदारी होगी और यह साझेदारी रक्षा-सुरक्षा जैसे एक-दो क्षेत्रों तक नहीं, बल्कि द्विपक्षीय रिश्तों के तमाम पहलुओं को समग्रता में समेटेगी। खा जा सकता है, ट्रंप का यह दौरा सफल रहा है। वैसे इस तरह की यात्राओं में कोशिश भी यही होती है कि शासनाध्यक्षों के बीच एक सहमति बन जाए,जिससे बाकी की चीजें आसान हो जाएं।
इसे क्या कहे कि इस यात्रा में दोनों देशों के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापारिक समझौता नहीं हो सका लेकिन इससे निराश होने की जरूरत नहीं है। चूंकि दोनों देशों के मुखिया एक-दूसरे को समझने लगे हैं, इसलिए उम्मीद है कि इस समझौते को लेकर निचले स्तर पर कायम गतिरोध दूर हो जाएगा। वैसे किसी भी समझौते के मसौदे पर आसानी से सहमति नहीं बनती। जिस तरह हम अपने हितों को लेकर आग्रही होते हैं, उसी तरह सामने वाला पक्ष भी अपने लाभ का गुणा-भाग करता है। जाहिर है, इस प्रक्रिया में वार्ताकार एक-दूसरे के प्रति काफी सख्त रुख अपनाते हैं। जैसे ही लोकतांत्रिक व्यवस्था के शीर्ष नेतृत्व में सहमति बन जाती है, तो समझौते की मेज पर बैठने वाले वार्ताकार अपना-अपन रुख नरम करने लगते हैं। इससे बीच का रास्ता निकालना आसान हो जाता है।
व्यापारिक समझौते में कुछ गतिरोध हैं, जो फिलहाल कठिन जान पड़ रहे हैं। अमेरिका की अपेक्षाओं को पूरा करना भारत के लिए आसान नहीं है, तो भारत की उम्मीदों पर आगे बढ़ना अमेरिका के लिए कठिन है। रास्ते जल्द ही निकल जाएंगे। माना यह जा रहा है कि राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की फिर से ताजपोशी के बाद भारत और अमेरिका इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। हमें कदापि यह नहीं भूलना चाहिए कि चुनावी नतीजों की सटीक भविष्यवाणी मुमकिन नहीं होती । कई बार जनादेश उम्मीदों के खिलाफ भी आते हैं। फिर भी यह जरूर कहा जा सकता है कि दोनों देश इस समझौते पर आगे बढ़े हैं।
एक और खास बात, रक्षा सौदे पर बनी सहमति है। लगभग तीन अरब डॉलर के रक्षा समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका ने भारत को आधुनिकतम सैन्य हेलीकॉप्टर और अन्य साजो-सामान देने की बात कही है। ट्रंप के शब्दों में कहें, तो इन सौदों से दोनों देशों के आपसी रक्षा संबंध कहीं ज्यादा मजबूत होंगे। आर्म्ड और प्रीडेटर ड्रोन जैसे उपकरणों की आपूर्ति पर भी सहमति बनी है। दोनों देशों के बीच ‘डिफेंस टेक्नोलॉजी ऐंड ट्रेड इनीशिएटिव’ (Defense Technology and Trade Initiative) के तहत सैन्य उत्पादों की खरीद-फरोख्त होती रही है। दोनों नेता इसे और गति देने पर राजी हुए हैं। अच्छी बात यह भी है कि तकनीक के हस्तांतरण पर अमेरिका सहमत हुआ, खासतौर से आतंकवाद के खिलाफ जंग में। इसका लाभ हमारे हित में होगा, क्योंकि अमेरिका के पास निगरानी करने वाली कई अत्याधुनिक तकनीकें हैं।
इस यात्रा में इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ जंग की प्रतिबद्धता फिर दोहराई गई। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) ने इस्लामी आतंकवाद (Islamic terrorism) की चर्चा की थी और इससे निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने का भरोसा जताया था। राष्ट्रपति ट्रंप ने बेशक कहा कि पाकिस्तान की धरती से चल रही आतंकी गतिविधियों को बंद करने के लिए अमेरिका कदम उठा रहा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और अमेरिका मिलकर आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने पर सहमत हुए हैं। यह परोक्ष रूप से पाकिस्तान के लिए चेतावनी है।
शासनाध्यक्षों के निजी रिश्ते कितने अहम होते हैं, यह कोई छिपा तथ्य नहीं है। भारत और अमेरिका में ही जब आणविक समझौता हुआ था, तो वह तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश (US President George Bush) और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Indian Prime Minister Manmohan Singh) के आपसी रिश्तों का नतीजा था। जब उच्च स्तर पर एकराय बन जाती है, तो निचले स्तर पर उसे अमलीजामा पहनाने के लिए खास मेहनत की जाती है, तो परिणाम सुखद होते हैं |
ट्रम्प- मोदी : बेहतर होगा ये बातें साकार हो जाएँ
श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
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