देश में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 724 मामले सामने आ चुके हैं। 19 लोगों की मौत हो चुकी है। गुरुवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 6 लोगों ने दम तोड़ा।
इस बीच इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया है, उसका आज तीसरा दिन है. लॉकडाउन के चलते आम जनमानस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और हजारों मजदूर अपने घरों के लिए पैदल ही निकल रहे हैं.
कोरोना वायरस को लेकर भारत में काफी तैयारियां चल रही है. लोग लॉकडाउन हैं.
भारत के सिर पर खतरे की घंटी (Danger bells on India’s head)
अब भारत को लेकर दुनिया की एक बड़ी यूनिवर्सिटी ने रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत के सिर पर खतरे की घंटी बज रही है. यह वायरस भारत को अगले चार महीने बहुत ज्यादा परेशान करने वाला है. रिपोर्ट में कोरोना को हराने के रास्ते भी बताए गए हैं.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (John hopkins university)की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोरोना वायरस की डरावनी लहर जुलाई अंत या अगस्त के मध्य तक खत्म होगी.
पूरे देश में सबसे ज्यादा लोग अप्रैल मध्य से लेकर मई मध्य तक कोरोना से संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती होंगे. फिर जुलाई मध्य तक यह संख्या कम होती चली जाएगी. अगस्त तक इसके खत्म होने की उम्मीद है. इस ग्राफ के मुताबिक करीब 25 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पतालों तक जाएंगे.
स्टडी में बताया गया है कि यह पता नहीं चल पा रहा है कि भारत में कितने लोग संक्रमित हैं. क्योंकि कई लोग एसिम्टोमैटिक यानी अलक्षणी है. इसका मतलब ये हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग ज्यादा हैं. उनमें कोरोना के लक्षण भी होंगे लेकिन हल्के स्तर के. इसलिए जब वह तीव्र होगा तभी पता चल पाएगा.
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की स्टडी में बताया गया है कि बुजुर्गों की आबादी को सोशल डिस्टेंसिंग का ज्यादा ध्यान रखना होगा. जितना ज्यादा लॉकडाउन होगा उतने ही ज्यादा लोग बचे रहेंगे. सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा इससे बचने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है.
तापमान और उमस में बढ़ोतरी होने पर वायरस के संक्रमण या फैलाव पर थोड़ा असर होगा, लेकिन वो पर्याप्त नहीं होगा. क्योंकि इस वायरस पर तापमान का ज्यादा असर होता दिख नहीं रहा है.