चीन के एक मैकेनिकल इक्पिमेंट सप्लायर हेनन डोरिआ के मुताबिक वो बड़े तादाद में ग्लोबल मार्केट में मास्क (Mask) बेचने के लिए तैयार हैं। उनकी तरफ से 15 दिनों में करीब 20 लाख एन95 मास्क भेजने की बात कही गई है। हालांकि हवाई उड़ान पर रोक के चलते मास्क को देश से बाहर भेजने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में चीन की तरफ से कहा गया है कि अगर अमेरिका को लार्ज स्केल में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट चाहिए, तो उसे अमेरिकी कॉर्गो विमान उपलब्ध कराने होंगे। चीन की मानें, तो उसके पास केवल 173 कॉर्गो विमान हैं, जबकि अमेरिका 550 से ज्यादा कॉर्गो विमान रखता है। उन्होंने कहा सभी कॉर्गो एयरक्राफ्ट का निर्माण चीन में शुरुआती चरण में है। शंघाई के गोल्डन पैसिफिक फैशन एंड डिजाइन के प्रेसिडेंट मिचेल क्रोटी ने कहा है कि एन 95 मास्क बनाने वाले कंपनियां ने शर्त रखी हैं कि मास्क के आर्डर के वक्त कुल 50 फीसदी डाउनपेमेंट करना होगा। साध ही बाकी रकम मास्क के फैक्ट्री गेट से निकलने से पहले चुकानी होगी।
चीन ने मास्क आयात के साथ ही घरेलू स्तर पर मास्क और अन्य प्रोटेक्टिव उपकरणों की मैन्यूफैक्चरिंग में कई तरह की छूट भी दी। इस तरह बचाव उपायों को अपनाकर चीन ने कोरोनावायरस (Corona virus) पर काफी हद तक काबू पा लिया। लेकिन अब यह वायरस चीन से दुनिया के अन्य देशों तक पहुंच चुका है। ऐसे में चीन अब इन मास्क और अन्य जरूरी सामानों का एक्सपोर्टर बन रहा है। दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोनावायरस के चलते मास्क की कीमतों में काफी इजाफा भी देखा जा रहा है। मेडिकल वर्कर को प्रोटेक्ट करने वाले एक खास तरह के मास्क एन-95 और प्रोटेक्टेटिव उपकरणों की थोक कीमत पांच गुना तक बढ़ गई। साथ ही ट्रांस पैसिफिक एयरफ्रेट चार्ज तीन गुना हो गए हैं।
चीन ने कोरोनावायरस से लोगों को बचाने के लिए मास्क का भी सहारा लिया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन (Lockdown) लगाने के साथ ही दूसरे देशों से बड़े पैमाने पर मास्क और प्रोटेक्टिव इक्पिमेंट का आयात किया। चीनी सरकार के कस्टम डेटा के आंकड़े बताते हैं कि उसने कोरोनावायरस के वक्त 5 हफ्तों में करीब 2 अरब मास्क का आयात किया, जो दुनियाभर में 2 से ढाई महीने के कुल मास्क उत्पादन के बराबर था। इसके अलावा 40 करोड़ प्रोटेक्टिव उपकरण का आयात किया है।