- अभिमत

सोशल मीडिया : बहुत कुछ करने की जरूरत

प्रतिदिन :
सोशल मीडिया : बहुत कुछ करने की जरूरत

भारत की आभासी दुनिया विश्व के मंच से अलग नहीं है | दुनिया के साथ भारत ने भी पिछले दिनों इस संसार का दुःख भोगा | दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया मंच फेसबुक के साथ इंस्टाग्राम और व्हॉट्सएप के कुछ घंटों के लिए अचानक बंद होने से दुनिया भर में कई सवाल फिर उठ खड़े हुए हैं| भले ही इन मंचों की सेवाएं तकनीकी कारणों से बाधित हुई हों, पर अगर हैकिंग के बड़े मामलों के साथ इस प्रकरण को देखें, तो पहली बात यही सामने आती है कि इंटरनेट के इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रबंधन को दुरुस्त करने की जरूरत है|

कुछ घंटे की बाधा ने इन मंचों के जरिये मिलनेवाली विभिन्न प्रकार की सेवाओं को तो प्रभावित किया ही, स्टॉक बाजार में फेसबुक समेत कई बड़ी तकनीकी कंपनियों के शेयरों के दाम में ११ से १५ प्रतिशत की गिरावट आयी| जब ये तीन सोशल मीडिया मंच बंद हुए, तो उपयोगकर्ताओं की सक्रियता में भारी बढ़ोतरी से इंटरनेट की अन्य कई अहम सेवाओं पर भी आंशिक असर पड़ा|

फेसबुक ने तो कुछ घंटों में गड़बड़ी को ठीक कर दिया, लेकिन इस घटना ने यह चेतावनी है कि भविष्य में दुनिया को इससे गंभीर स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए| लगभग सभी बड़ी टेक कंपनियों का मुख्यालय अमेरिका में है, इसलिए अमेरिका की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि इंटरनेट और इन कंपनियों से जुड़े मसलों, जैसे- एकाधिकार, साइबर सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, जवाबदेही, पारदर्शिता आदि के सवालों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रबंधन की खामियों पर समुचित ध्यान दें|

इन कंपनियों की सेवाओं का इस्तेमाल करनेवाली बड़ी तादाद दूसरे देशों में है और किसी भी संकट से वे भी प्रभावित होते हैं, सो यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा भी है| भले ही इंटरनेट की सेवाएं वर्चुअल रूप में दुनियाभर में पहुंचती हैं, पर ऐसा समुद्र के नीचे होकर महादेशों को जोड़नेवाले तारों तथा अलग-अलग देशों में स्थित सर्वरों के भौतिक विस्तार से ही संभव हो पाता है| अन्य संबंधित सवाल भी अहम हैं, पर सार्वजनिक तौर पर न तो राजनीतिक बहसों में और न ही कॉरपोरेट चर्चाओं में इंटरनेट के भौतिक पक्ष को प्राथमिकता दी जाती है|

इस बेहद जटिल और विकेंद्रित इंफ्रास्ट्रक्चर का कोई भी गहन संकट दुनिया के लिए भारी पड़ सकता है| एक ओर जहां भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तृत है, वहीं इंटरनेट का प्रबंधन और संचालन कुछ कंपनियों के हाथों में केंद्रित है| चाहे, अमेरिका हो, भारत हो या कोई और देश, साइबर सुरक्षा का सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल भी है| ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर का पहलू बेहद अहम हो जाता है|

भारत उन कुछ देशों में है, जो हैकिंग और अन्य जोखिमों से सबसे अधिक प्रभावित है| हमारे देश में डिजिटल तकनीक और संबंधित सेवाओं का विस्तार भी बड़ी तेजी से हो रहा है| ऐसे में हमें इंटरनेट की समस्याओं को मिलकर हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव डालना चाहिए| तकनीक, बौद्धिक संपदा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर नियंत्रण के पहलुओं पर नये सिरे से सोच-विचार की जरूरत है तथा इसके लिए कुछ बड़ी कंपनियों पर निर्भरता हमारे भविष्य को जोखिम में डाल सकती है|

श्री राकेश दुबे (वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail

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