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प्रत्यर्पण पर फैसले से पहले बोले माल्या भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने का डर

लंदन: भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (62) के प्रत्यर्पण मामले में लंदन की वेस्टमिंस्टर अदालत सोमवार को फैसला सुना सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत आने पर माल्या को डर है कि राजनीति की वजह से निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी। उस पर नए आरोप भी लग सकते हैं।

माल्या पर भारतीयों बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए बकाया हैं। वह मार्च 2016 में लंदन भाग गया था। भारत ने पिछले साल फरवरी में यूके से उसके प्रत्यर्पण की अपील की थी। भारत में फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर अप्रैल 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड में माल्या की गिरफ्तारी हुई लेकिन, जमानत पर छूट गया। उसके प्रत्यर्पण का मामला 4 दिसंबर 2017 से लंदन की अदालत में चल रहा है।

माल्या का कहना है कि उसके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित है। उसने एक रुपया भी उधार नहीं लिया। किंगफिशर एयरलाइंस ने लोन लिया था। कारोबार में घाटा होने की वजह से लोन की रकम खर्च हो गई। वह सिर्फ गारंटर था और यह फ्रॉड नहीं है।

साल 2013-14 तक एयरलाइंस का घाटा बढ़कर 4,301 करोड़ रुपए हो चुका था। इसी साल माल्या दुनिया के टॉप-100 अमीरों की लिस्ट से बाहर हो गया। लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर ब्याज बढ़ता गया। मार्च 2016 तक माल्या 9,000 करोड़ रुपए का कर्जदार हो गया और विदेश भाग गया।

भारत की 48 देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है। साल 2014 से अब तक आर्थिक अपराध के मामलों में सिर्फ 5 अपराधियों का प्रत्यपर्ण हो पाया है। 23 भगोड़ों को अभी तक नहीं लाया जा सका है। इनके लिए संबंधित देशों से प्रत्यर्पण की अपील की जा चुकी है।

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