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शिक्षा के विकास से देश का विकास : राष्ट्रपति

गोरखपुर: दो दिवसीय दौरे के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में भाग लिया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने मेधावी छात्रों को पुरस्कृत किया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षा विकास की कुंजी है। भारत के विकास का अर्थ है भारत की शिक्षा का विकास। शिक्षा ही अच्छे व्यक्ति और समाज के निर्माण की आधारशिला है। सही मायने में उसी समाज और व्यक्ति को शिक्षित माना जा सकता है जहां प्रेम, करुणा और सद्भाव जैसे मूल्यों को सर्वाधिक महत्व दिया जाए। गोरखनाथ मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शिक्षा के इस व्यापक अर्थ के अनुसार गौतम बुद्ध हो या संत कबीर वह भी महान शिक्षक थे। यह इस अंचल का सौभाग्य है कि गौतम बुद्ध से जुड़े कुशीनगर, कपिलवस्तु, श्रावस्ती और लुंबिनी तथा संतकबीर से जुड़ा मगहर जो संतकबीरनगर में है, गोरखपुर परिक्षेत्र में है।

उन्होंने कहा कि कभी कभी मैं कहता हूं शिक्षा के बारे में कि शिक्षा वह चीज होती है जो एक बालक/बालिका को तरुण होते होते एक अच्छा इंसान बनाए। जब एक अच्छा इंसान बनेगा तो जहां जिस क्षेत्र में जाएगा बेहतर होगा। एक शिक्षक बनेगा तो अच्छा शिक्षक होगा, डाॅक्टर बनेगा तो अच्छा डाॅक्टर बनेगा। यदि साधारण कर्मचारी भी होगा तो अच्छा कर्मचारी होगा, नेता बनेगा तो अच्छा नेता होगा। अर्थात शिक्षा की जो एक मूलभूत कसौटी है वह एक अच्छे व्यक्तित्व का होना पहली आवश्यकता है।

नाथ संप्रदाय के योगदान का जिक्र करते हुए महामहिम ने कहा कि भक्ति आंदोलन से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन तक नाथ पंथ के योगी जनजागरण और एकता के सूत्रधार रहे। समाज की एकता, देश की एकता और अखंडता तथा इस क्षेत्र के लोगों को अज्ञानता व अशिक्षा से मुक्ति दिलाने के लिए गोरखनाथ के महंतों ने अप्रतिम योगदान दिया। आजादी की लड़ाई के दौरान देश में शिक्षा दिलाने का जो अभियान शुरू हुआ उसमें महामना मदन मोहन मालवीय के बीएचयू से लेकर महंत दिग्विजयनाथ द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की शिक्षण संस्थाएं उसी शिक्षा अभियान का हिस्सा हैं। उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की तारीफ करते हुए कहा कि 1932 में यहां स्थापित यह शिक्षा परिषद गोरखपुर में शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होता है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नाथ परंपरा के महान योगी गुरु गोरक्षनाथ की स्मृति से जुड़े इस शहर में आना सबके लिए सौभाग्य की बात है। उससे से भी बढ़कर शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम में भाग लेना और भी सुखद है। कार्यक्रम के दौरान छात्र/छात्राओं को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने गोरखपुर क्षेत्र से जुड़ी महान विभूतियों को याद करते हुए कहा कि 20वीं सदी में भारतीय दर्शन और क्रिया योग के प्रति देश में आकर्षण उत्पन्न करने वाले योगानंद परमहंस का जन्म यहीं हुआ। हजरत रोशन अली शाह जैसे संतों, मोहम्मद सैयद हसन, बाबू बंधु सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे शहीदों की स्मृतियों से जुड़ा यह गोरखपुर क्षेत्र बाबा राघवदास जैसे राष्ट्रसेवी संत और महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद्र की कर्मस्थली रहा है। मुंशी प्रेमचंद के कथा संसार में हमने गोरखपुर और खासकर के यहां के ग्रामीण अंचल की झलक देखी है। फिराक गोरखपुरी ने साहित्य के क्षेत्र मेें गोरखपुर के नाम को अमर कर दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों को स्थापित करने वाला प्रमाणित साहित्य उपलब्ध कराकर अपना अतुलनीय योगदान दिया है। गीता प्रेस के संस्थापक स्वर्गीय जयदयाल गोयंदका का योगदान अविस्मरणीय है। गीता प्रेस से मासिक प्रकाशित होने वाली पत्रिका कल्याण ने देश के एक बहुत बडे़ पाठक वर्ग को देश की अमूल्य विरासत से अवगत कराया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना बहुत सोच समझकर किया गया होगा। उनके आदर्शाें से सबको सीख लेनी चाहिए। कैसे वह जनभावना के लिए हंसते-हंसते वनवासी जीवन को स्वीकार लिए। इस शिक्षण संस्थान का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब यहां से निकलने वाला छात्र/छात्रा महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरित हो|

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस क्षेत्र के विकास में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी अभूतपूर्व योगदान है। मुख्यमंत्री पद संभालने के पहले एक सक्रिय सांसद के रूप में गोरखपुर को उनका साथ दो दशकों से मिल रहा है।

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