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राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को राहत, राहुल गांधी को झटका

नई दिल्ली: विवादित राफेल डील मामले की जांच की जाए या नहीं, इस पर आज सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने फ्रांस के साथ हुए 36 लड़ाकू राफेल विमान खरीदने को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया को सही ठहराया और कहा कि कीमत तय करना उसका काम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे में फैसला लेने की प्रक्रिया पर शक करने का कोई अवसर नहीं है.

इसी के साथ, सौदे को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, कांग्रेस लगातार मोदी सरकार का घेराव करते हुए राफेल डील में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाती आई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल को Big Scam कहते आए हैं।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये मामला पहले से ही साफ था। इसमें किसी तरह की धांधली नहीं की गई थी। लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस इस मुद्दे को उठा रही थी।उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी थी कि ये दो सरकारों के बीच किया गया सौदा था।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि अदालत ने जो फैसला दिया है वो सही है। लेकिन राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर जेपीसी की जांच से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि वो अदालत के फैसले पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे। ये बात अलग है कि इस मुद्दे के राजनीतिक निहितार्थ हैं और हमें उस पर गौर करना होगा।

 

दो इंजन वाले इस लड़ाकू विमान का निर्माण फ्रांस की सरकारी कंपनी दसाल्ट एविशन करती है।

केंद्र ने राफेल सौदे का बचाव करते हुए कीमत को सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था। केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 के एक्सचेंज रेट के मुताबिक खाली राफेल जेट की कीमत 670 करोड़ रुपये है। लेकिन, पूरी तरह से हथियारों से लैस राफेल विमान की कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं।

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