प्रतिदिन:
किसानी की कीमत पर बीमा कम्पनियां
प्रदेश में गठित नई सरकारें, और केंद्र में मौजूद ४ साल पुरानी केंद्र सरकार किसान नामक बड़े वोट बैंक को रिझाने के उपक्रमों में लगी हैं | फसल बीमा, कर्ज माफ़ी और न जाने कैसे-कैसे झुनझुने किसान को पकड़ाए जा रहे है | इन झुनझुनों से आवाज़ निकलेगी इस गलतफहमी में सब है, हकीकत यह है कि किसान पहले भी रोता था अब भी रोता है | यह रुदन ही उसका भविष्य बन गया है | फसल बीमा से किसे कितना लाभ हुआ इसका उत्तर देते आंकड़े देश के कृषि विभाग के पास हैं |
इन आंकड़ों के अनुसार २०१७ में ३ करोड़ ४६ लाख ५२६२२ किसानों ने बीमा करवाये थे| उसमें से १ करोड़ २१ लाख ४६४५६ किसानों को फसल नष्ट हो जाने के बाद बीमा का पैसा मिला| यानी २२५०६१६६ किसानों को बीमा से कोई पैसा नहीं मिला| इसमें वो किसान होंगे जो बीमा करवाए थे लेकिन उनकी फसल नष्ट नहीं हुई और वो किसान भी है जो बीमा करवाए थे फसल नष्ट हुई लेकिन फिर भी बीमा के पैसे नहीं मिले| अब रुपये पर आते हैं। १ करोड़ २१ लाख ४५४५६ किसानों को बीमा कंपनियों की तरफ से फसल नष्ट हो जाने के बाद कुल-मिलाकर १५१८१ करोड़ के करीब मुआवजा दिया गया| बीमा कंपनी को १९२५९ करोड़ के रूप में प्रीमियम मिले और १५१८१ करोड़ बीमा के रूप में किसानों को मिले तो इस लिहाज़ से बीमा कंपनियों को ४०७० करोड़ के करीब को फ़ायदा हुआ.|२०१६ और २०१७ के आंकड़ो का जोड़ देखें तो मात्र खरीफ फसल के लिए हुए बीमा से बीमा कंपनियों को ९९२१ करोड़ फ़ायदा हुआ|
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि २०१६ खरीफ फसल के लिए कुल-मिलाकर ४ करोड़ २ लाख ३६ हज़ार किसानों ने किसानों ने फसल बीमा करवाया और प्रीमियम के रूप में करीब २९१९ करोड़ दिए| यह रुपये किसानों ने दिए क्यों कि फसल बीमा के नियम के तहत कुछ पैसा अपनी जेब से देते हैं कुछ केंद्र सरकार देती है और कुछ राज्य सरकार| किसानों के पैसे का औसत निकाला जाए तो एक किसान प्रीमियम के रूप में अपनी जेब से ७२५ रूपये दिए है| केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कुल-मिलाकर १३३५७ करोड़ के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया हैं| किसानों की प्रीमियम, केंद्र और राज्य सरकार की प्रीमियम मिला दिया जाए तो कुल-मिलाकर १६२७६ करोड़ के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया गया यानी अगर औसत निकाला जाए तो एक किसान के लिए कुल-मिलाकर ४०४५ रूपये के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया गया है| जबकि फसल नष्ट हो जाने के बाद एक किसान को बीमा के रूप में औसतन ४०११ रूपये के करीब मिले | अर्थात एक किसान के लिए जितना पैसा बीमा के लिए भरा गया उससे कम पैसा फसल नष्ट हो जाने के बाद बीमा कम्पनियों से मिला|
अब २०१७ के हाल खरीफ फसल के लिए कुल-मिलाकर ३ करोड़ ४६ लाख ५२६२६ किसानों का बीमा हुआ| जबकि २०१६ में ४०२३६४७२ किसानों ने बीमा करवाया था २०१७ में ५५८३८५० में कम होगये .| यही कारण हैं कि फसल बीमा से किसान भाग रहा है| किसान ने अपने पॉकेट से ३०५५ करोड़ के करीब प्रीमियम भरा यानी एक किसान का औसत प्रीमियम ८८१ रूपया रहा| २०१६ में एक किसान प्रीमियम के रूप में अपने पॉकेट से ७२५ रुपये के करीब दिया था तो २०१७ में १५६रूपये किसानों ने अपनी जेब से ज्यादा दिये | २०१७ में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कुल-मिलाकर १६२०४ करोड़ के करीब प्रीमियम बीमा कंपनियों को दिया , किसान और सरकार ने कुल-मिलाकर १९२५९ करोड़ रुपया प्रीमियम कंपनियों को दिया गया| अगर औसत निकाला जाए तो एक किसान के लिए प्रीमियम के रूप में ४७८६ रुपये बीमा कंपनियों को दिए गए| हर साल प्रीमियम बढ़ता है मुआवजा घटता है | ऐसी योजना से किसका भला हो रहा है? किसान का? जी नहीं, बीमा कम्पनियों का, किसान हितैषी सरकारों जागिये |